गोरखपुर की महिला एक दिन के लिए ब्रिटिश उच्चायोग बनी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश की 22 वर्ष की आयशा खान ने ‘एक दिन के लिए उच्चायोग‘ प्रतियोगिता जीती और यूके के भारत में सबसे बड़े राजनयिक बनने का मौका पाया।
उन्होंने पूरा दिन यूके के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क की देखरेख की, ब्रीफिंग सेशन्स की अध्यक्षता की, उच्चाधिकारियों के साथ नेटवर्किंग तथा प्रोजेक्ट के लाभार्थियों के साथ भेंट करते हुए बिताया।
अब अपने तीसरे वर्ष में, ‘एक दिन के लिए उच्चायोग‘ प्रतियोगिता 11 अक्टूबर को ‘कन्या शिशु अंतर्राष्ट्रीय दिवस‘ के उत्सव का जश्न मनाने के लिए आयोजित किया गया था | यह प्रतियोगिता 18-23 वर्ष की भारतीय महिलाओं के लिए खोला गया था। चयन प्रक्रिया के अनुसार, लिंग समानता क्यों जरूरी है और वे किसे लिंग समानता के सबसे बड़े प्रेरणास्त्रोत के रूप में देखते हैं, इस पर प्रतिभागियों को एक मिनट का विडियो रिकार्ड करने के लिए कहा गया। प्रतियोगिता ने एक जबदरस्त प्रतिक्रिया देखी जिसमें 14 राज्यों से आवेदन प्राप्त हुए। |
एक दिन की उच्चायोग, आयशा खान ने कहा:
मेरा दिन बहुत व्यस्त था मगर बहुत आनंदमय था तथा मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। ब्रीफिंग सेशन्स की अध्यक्षता करना,यूके और भारत के मुख्य साझेदारों से संवाद, तथा विविध संस्कृतियों का अनुभव करना मेरे लिए एक बहुत बड़ा अवसर था। मेरा मानना है कि शिक्षा एक मजबूत हथियार है जो लिंग समानता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
मैं इस प्रतियोगिता के पिछले विजेताओं का भी अनुसरण कर रही थी तथा मैं ब्रिटिश उच्चायोग को मुझे यह अवसर देने के लिए धन्यवाद करती हूँ।
उस दिन के उप उच्चायोग (अन्य दिनों में, भारत के ब्रिटिश उच्चायोग), श्री डोमिनिक एस्क्विथ ने कहा:
मैंने एक दिन के लिए आयशा के साथ काम करने का पूरा आनंद उठाया। वह इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर स्पष्ट तथा आश्वस्त होकर बोली। मुझे आशा है कि उन्हें यह अनुभव उतना ही फलदायी लगा जितना मुझे भी निजी तौर पर लगा। मैं उनकी सफलता की कामना करता हूँ - उनकी काबिलियत एक उज्जवल भविष्य दर्शाता है।
मुझे खुशी है कि हम जिंदगी के हर कोने से युवा औरतों को यह दर्शा सके कि कुछ भी संभव है, तथा उन्हें उनके सामर्थ का एहसास कराने के लिए अवसर प्रदान कर एक बार दोबारा इस महत्वपूर्ण पर्व को मना सके। यूके तथा भारत पूरी दुनिया की भलाई के लिए सामरिक शक्ति के रूप में काम कर रहे हैं तथा हम लिंग समानता के कारणों को बढ़ावा देने की जरूरत को भारत के साथ साझा करते हैं। मुझे उम्मीद है कि यह कदम पूरे भारत के लोगों का ध्यान आकर्षित करेगा - चाहे वे बड़े शहरों में या छोटे गाँवों में रहते हो।
Gorakhpur woman becomes British High Commissioner for a day
अन्य जानकारी
आयशा खान शुक्रवार, 4 अक्टूबर को एक दिन के लिए उच्चायोग थी। पूरे दिन के दौरान, उन्होंने:
- पीतमपुरा स्थित एपीजे स्कूल का दौरा किया जहाँ ब्रिटिश कौंसिल नृत्य तथा क्रिकेट के इस्तेमाल से लिंग की सकारात्मक भूमिका को बढ़ाने के लिए ‘चेंजिग मूवस चेंजिग माइंडस‘ कार्यक्रम चला रहा है
- दिल्ली के असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं से मिली तथा यह जाना कि कैसे SEWA (सईडब्लए) उनकी मदद करता है
- फेसबुक GOAL(गोइंग ऑनलाइन एस लीडर्स) के लाभार्थियों के साथ एक वाद-विवाद आयोजित किया
- उन्होंने बिजनेस, विदेश नीति तथा नागरिक समाज के लीडर्स से भी मुलाकात की
खान ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के एसजीएनडी खालसा कॉलेज से बैचलर्स इन जर्नलिज्म और मास्स कम्युनिकेशन का कोर्स किया है। वह भारतीय विद्याभवन से पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा की भी धारक है। वह वर्तमान में गुरू जंबेश्वर विश्वविद्यालय से मास्स कम्युनिकेशन में मास्टर्स कर रही हैं। वह नागरिक हितों, समानता तथा अहिंसा के प्रति बेहद जोश रखती हैं। वह शिक्षा की ताकत में विश्वास रखती है तथा शिक्षा क्षेत्र में काम करना चाहती है या कानून की पढ़ाई कर नागरिक हितों की वकील बनना चाहती हैं।
उच्चायोग के तौर पर खान की हाई रेसोलूशन तस्वीरें यहाँ यूकेइनइंडिया फ्ल्किर पेज से डाउनलोड की जा सकती हैं।
भारत समेत पूरी दुनिया में विकास के लिए लड़कियों तथा महिलाओं की बेहतरी यूके की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। वर्तमान में चल रहे कार्यक्रमों के उदाहरण है:
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दिल्ली, मुंबई, चेन्नई तथा ओडिशा के स्कूलो में सकारात्मक लिंग भूमिका को बढ़ाना, सरकारी तथा निजी स्कूलों के 300,000 छात्रों तथा 3,000 अध्यापकों तक पहुंचना
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इंग्लिश प्रीमियर लीग की साझेदारी से, सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की नवयुवतियों के बीच, फुटबाल द्वारा एकीकरण को ज्यादा बढ़ाना
मीडिया
मीडिया पूछताछ के लिए, कृपया संपर्क करें:
निकोलस दुविविर, कैंपेन प्रमुख/ डिप्टी हेड आफ कम्यूनिकेशन
प्रेस एवं संवाद, ब्रिटिश उच्चायोग,
चाणक्यपुरी, नई दिल्ली 110021
फोन: 24192100; फैक्स: 24192400
मेल करें: अश्वमेघ बनर्जी
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