विश्व की समाचार कथा

भारतीय छात्रा एक दिन के लिए ब्रिटिश उच्चायुक्त बनीं

एमिटी विश्वविद्यालय की ईशा बहल ने 24 घंटे के लिए ब्रिटेन के सबसे बड़े विदेशी डिप्लोमेटिक नेटवर्क का नेतृत्व किया।

यह 2016 to 2019 May Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था
Esha Bahal

दुनिया भर के देश 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस का जश्न मनाएंगे।

कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए, ब्रिटिश उच्चायोग ने 18 से 23 साल के बीच की लड़कियों के लिए एक दिन के ब्रिटिश उच्चायोग बनने की प्रतियोगिता का आयोजन किया था। इसमें प्रवेश के लिए, प्रतिभागियों को एक छोटा सा वीडियों प्रेजेंटेशन देकर बताना था कि ‘उनके लिए लैंगिक समानता का क्या मतलब है?’

इस प्रतियोगिता में दिल्ली से हैदराबाद तक देश भर की 58 छात्राओं/लड़कियों ने हिस्सा लिया। इसमें सफल प्रविष्टि नोएडा के एमिटी यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस की विद्यार्थी ईशा बहल की थी।ईशा पब्लिक पॉलिसी और लॉ में अपनी उच्च शिक्षी पूरी करने के बाद सामाजिक उद्यमी (सोशल इंटरप्रेन्योर) बनना चाहती हैं।

एक दिन की कार्यकारी ब्रिटिश उच्चायुक्त, ईशा ने कहा:

एक दिन के लिए ब्रिटिश उच्चायुक्त के रूप में काम करना वाकई एक बेहतरीन और अद्वितीय अनुभव रहा है। मैने भारत और ब्रिटेन के संबधों की गहराई को समझा है - और मुझे लैंगिक समानता और समावेशिता जैसे मुद्दों के महत्व को उजागर करने का मौका मिला जो मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

ब्रिटिश उच्चायुक्त (या उस एक दिन के लिए उप उच्चायुक्त) सर डोमिनिक एस्क्विथ ने कहा:

मुझे इस प्रतियोगिता का संचालन करके और युवा भारतीय महिलाओं को अपने अधिकारों पर चर्चा करने के लिए मंच प्रदान करते हुए बहुत खुशी हो रही है। मैं उत्कृष्ट वीडियो भेजने के लिए सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद करता हूं।

ईशा वास्तव में प्रभावशाली है। वह लड़कियों के अधिकारों के लिए स्पष्ट तौर पर प्रतिबद्ध है और उसका वीडियो बहुत शानदार था। मैं उसे उसकी सफलता पर बधाई और भावी प्रयासों के लिए उसको शुभकामनाएं देना चाहता हूं।

लैंगिक समानता यूके के लिए बेहद अहम मुद्दा है - और इस मुद्दे पर अब भी किए जाने वाले कार्यों को दर्शाने और और पूरी दुनियां में किए जा रहे कार्यों का जश्न मनाने के लिए 11 तारीख़ एक महत्वपूर्ण समय है।

अधिक जानकारी:

ईशा ने 8 अक्टूबर को नई दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायोग (बीएचसी) का प्रभार संभाला। उन्होंने उच्चायोग में विभाग के प्रमुखों के साथ बैठक की और अपने काम को समझने के लिए टीमों का दौरा किया। उन्होंने गुड़गांव स्थित मार्क एंड स्पेंसर (एमएंडएस) फैक्ट्री के प्रोजेक्ट साइट का दौरा किया, जहां पर उच्चायोग द्वारा एमएंडएस के साथ मिलकर गारमेंट इंडस्ट्री की महिला कर्मचारियों के लिए लैंगिक समानता का कार्यक्रम चलाया जा रहा है; उन्होंने टेक रॉकेटशिप अवार्ड्स के विजेताओं से मुलाकात की और मीडिया के साथ औपचारिक बातचीत भी की।

ब्रिटिश सरकार सिविल सोसाइटी, शिक्षावेत्ताओं, सरकार और खुद लड़कियों के साथ मिलकर उनको सशक्त बनाने और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए काम कर रही है। उदाहरण के लिए, बीएचसी ने महिलाओं और लड़कियों (वीएडब्ल्यूजी) के खिलाफ होने वाली हिंसा में न्याय दिलाने की प्रक्रिया में सुधार के लिए तस्करी के पीड़ितों के संबंध में भारत के मौजूदा कानूनों और नियमों को लागू करने के तरीके को समझने के लिए मानक परिचालन प्रक्रियाओं का उपयोग करते हुए भारत के 5 राज्यों में पुलिस अधिकारियों को संवेदनशील बनाने और उनको प्रशिक्षण देने की एक परियोजना में सहयोग किया। तमिलनाडु और केरल में बीएचसी ने एक ऐसी परियोजना में सहयोग किया जिसमें 300 लीगल, पुलिस और ज्यूडिशियल ऑफिसर्स में जानकारियों को साझा करने और सीखने में मदद मिली। भारत में दलितों के खिलाफ हिंसा और दोहन का मुकाबला करने के लिए, बीएचसी ने एक ऐसे कार्यक्रम में सहयोग किया जिसके अंतर्गत 2000 महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों पर प्रशिक्षित किया गया और पैरालीगल्स के तौर पर दलित वूमेन ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स के पहले नेटवर्क का गठन हुआ। बीएचसी ने यौन हिंसा के मामलों से निपटने के तरीकों पर 400 से अधिक समुदायिक सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने वाले कार्यक्रमों का भी सहयोग किया है।

मीडिया

मीडिया से संबंधित प्रश्नों के लिए, कृपया संपर्क करें:

सैली हेडली,
हेड ऑफ कम्युनिकेशंस
प्रैस एवं कम्युनिकेशन, ब्रिटिश उच्चायोग,
चाणक्यपुरी नई दिल्ली 110021
टेलीफोन: 24192100; फैक्स: 24192400

मेल करें: असद मिर्ज़ा

हमें फॉलो करें Twitter, Facebook, Flickr, Eventbrite, Blogs, Youtube, Instagram

Updates to this page

प्रकाशित 8 October 2018