क्रीमिया में जनमत-संग्रह
ब्रिटिश उच्चायुक्त सर जेम्स बेवन केसीएमजी द्वारा लिखित आलेख।
अगर बंदूक के साथ मनवाया जाए तो चयन का विकल्प वास्तव में ‘चयन’ नहीं रह जाता।
अभी रविवार को, क्रीमिया के लोगों को एक असंभव चयन करने के लिए कहा जाएगा: रूस के वश में होने के लिए मतदान करने को; या स्वतंत्रता के लिए मतदान करने को- और इस बात की कोई निश्चितता नहीं है कि, जैसा कि रूस ने स्वतंत्र यूक्रेन की प्रादेशिक अखंडता के प्रति दिखाया, उससे थोड़ा भी अधिक सम्मान स्वतंत्र क्रीमिया की प्रभुसत्ता के प्रति दिखाएगा।
सारी संभावनाएं रूस के पक्ष में जाती दिख रही हैं – सिक्का उछालने की तरह। हेड रूस की विजय और टेल क्रीमिया की पराजय।
यह चुनाव- चाहे इसका जो भी परिणाम हो- पूरी तरह गैरकानूनी और गैरसंवैधानिक हैं: तीस लाख लोगों की मांग पर ही चुनावों का आयोजन किया जा सकता है; इसे पूर्णतः अखिल-यूक्रेन का मत-संग्रह होना चाहिए; और इसे केवल यूक्रेन संसद द्वारा आयोजित किया जा सकता है। इनमें से कोई भी शर्त यहां पूरी नहीं होती है।
ये मतदान फर्जी होंगे। एक सैन्य आधिपत्य वाले इलाके में, सशस्त्र रूसी टुकड़ियों की मौजूदगी की छाया में किस तरह मतदान या इससे संबंधित कोई भी काम किया जा सकता है?
जैसा कि हम इसी वर्ष इसके बाद स्कॉटलैंड में देखेंगे, - स्वतंत्र और निष्पक्ष मत-संग्रह में ये सवाल उठाए जाने चाहिए। किंतु रविवार का क्रीमिया का मत-संग्रह न तो स्वतंत्र और न निष्पक्ष ही है।
बीते दो दशकों में, हमने अपने शीतयुद्ध के तनाव तथा अविश्वास को पीछे छोड़ने की कोशिश की है: अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रति रूस के सशक्त और सकारात्मक योगदान को स्वीकार करने के लिए – तथा हमारी समस्त जनता की समृद्धि के प्रति।
भूतकाल के कटु द्वंदों को दुहराने से बचने और मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय समझौतों तथा संस्थाओं द्वारा सम्मिलित प्रयास किए गए। ओएससीई तथा यूरोपीय परिषद जैसे संगठन, जिनमें रूस भी अविभाज्य रूप में सम्मिलित है, आत्मनिर्णय तथा अल्पसंख्यकों के अधिकारों की हिफाजत जैसी समस्याओं से निबटने में राज्यों की सहायता के लिए मौजूद हैं।
लेकिन, यूरोपीय सुरक्षा तथा सहयोग संगठन – जो मतदान शुद्धता का स्तरीय वाहक है,- ने स्पष्ट किया है कि यह मत-संग्रह गैरकानूनी होगा तथा तथा वह इस मतदान के लिए अपने पर्यवेक्षक नहीं भेजेगा।
अब भी बहुत देर नहीं हुई है कि रूस इन संस्थाओं की मदद से गंभीरतापूर्वक लोकतंत्र लागू करे तथा इन समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान की तलाश करे। हम क्रीमिया, उक्रेन, यूरोप तथा रूस की भलाई, तथा इस संकट के समाधान के लिए राष्ट्रपति पुतिन से लगातार अपने अधिकारों के उपयोग की मांग करते रहे हैं।
इस दिशा में मास्को की एक महत्वपूर्ण पहल यह होगी कि वह रविवार के इस फर्जी मत-संग्रह के नतीजों की वैधानिकता स्वीकार करने से परहेज करे। आखिरकार, इसका कोई वैधानिक प्रभाव नहीं होगा। और न इसमें कोई नैतिक बल होगा। और इन नतीजों को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा भी स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। यह और आगे नहीं चलना चाहिए।