विश्व की समाचार कथा

ड्यूक एवं डचेज़ ऑफ कैंब्रिज ने भारत में स्त्री अधिकार के पैरोकारों से मुलाकात की

भारत के अपने आधिकारिक दौरे के तीसरे दिन, ड्यूक एवं डचेज़ ऑफ कैंब्रिज ने देश की महिलाओं तथा बालिकाओं से जुड़े कई प्रकार के मुद्दों के बारे में बातचीत करने के लिए भारतीय महिलाओं के एक समूह से मुलाकात की।

यह 2015 to 2016 Cameron Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था
The Duke and Duchess of Cambridge with women's rights advocates

इस बैठक का आयोजन ड्यूक के व्यक्तिगत अनुरोध पर किया गया, जो उन महिलाओं से प्रत्यक्ष रूप से मुलाकात तथा बातचीत करना चाहते थे जो अन्य महिलाओं एवं बालिकाओं के लिए काम कर रही हैं। वे उन कार्यों के विषय में भी जानकारी प्राप्त करना चाहते थे, जो युवा महिलाओं को उनकी पूर्ण क्षमता प्राप्त करने में तथा पुरुषों को महिलाओं एवं बालिकाओं के लिए अधिक सहायतापूर्ण बनाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे हैं।

शाही दंपत्ति ने तेजाब हमले से पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल से भी मुलाकात की और उनके प्रेरणास्पद अभियान ‘तेजाब हमला रोको’ के बारे में जानकारी प्राप्त की। लक्ष्मी पर 15 वर्ष की उम्र में एक 32 वर्षीय व्यक्ति द्वारा तेजाब से हमला किया गया था, जब उन्होंने उसके विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने अपना चेहरा न ढकने के अपने फैसले के बारे में यह बताया कि वह अन्य पीड़िताओं को खुद को न छिपाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती है, तथा उन्होंने तेजाब बेचने पर कठोर कानूनी प्रतिबंध लगवाने के लिए अपने सफल संघर्ष के बारे में बताया। ड्यूक ने उनकी बहादुरी की सराहना की। लक्ष्मी आज एक टीवी कलाकार है तथा वह भारत में तेजाबी हमले से पीड़ितों की सहायता के लिए समर्पित एक स्वयंसेवी संगठन छानवे फाउंडेशन की निदेशक है।

ड्यूक तथा डचेज़ ने घरेलू हिंसा से पीड़ित एक महिला सुनीता जायसवाल से भी मुलाकात की, जो आजाद फाउंडेशन के सहयोग के लिए कृतज्ञ है, इस संस्था ने उनका जीवन पूरी तरह बदल दिया है और अब उनकी बेटियों के लिए एक स्थायी भविष्य की व्यवस्था की है। इस फाउंडेशन के माध्यम से सुनीता को एक वाहन-चालक का प्रशिक्षण हासिल करने में सहायता मिली, जिससे उन्हें आत्मनिर्भरता तथा एक निश्चित आय मिली, जिससे वह अपने बच्चों को स्कूल भेज पाई। उन्होंने ड्यूक तथा डचेज़ को बताया कि प्रशिक्षण के दौरान उन्हें जो आत्मविश्वास मिला, उससे वह ‘खुद के समाप्त हो जाने’ के भय से मुकाबला कर सकी और अब वह आशा के साथ भविष्य का सामना कर सकती है। उन्होंने डचेज़ के साथ इस मसले पर परस्पर चर्चा की, कि बेटियों को एक आत्मनिर्भर महिला बनाने के लिए माताएं किस प्रकार की नीति विकसित करें।

उन्होंने पत्रकार सौम्या मेनन से भी मुलाकात की और उन्हें इन मुद्दों पर मीडिया की भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि मीडिया महिलाओं को अपनी कहानी कहने तथा खास महिलाओं के जीवन में आनेवाली अनोखी परिस्थितियों पर रौशनी डालने में सहायता कर सकता है। उन्होंने उन महिलाओं को अपने अनवरत समर्थन तथा उनके सशक्तिकरण पर विचार-विमर्श किया, जो अपनी बात कहने में काफी बहादुर हैं, और इसीलिए जब वे अपनी कहानी बता देती हैं और मीडिया द्वारा उन्हें समर्थन दिया जाता है, तो उन्हें उपेक्षित और शोषित नहीं किया जा सकता।

शाही दंपत्ति ने कुछ खास संगठनों जैसे सेव द चाइल्ड के साथ ही भारत सरकार समर्थित कार्यक्रमों के जरिए महिलाओं तथा बालिकाओं के लिए उपलब्ध कराए जा रहे समर्थन तथा प्रयासों के बारे में भी जानकारी प्राप्त की।

इस चर्चा के दौरान यह उभर कर सामने आया कि इन मुद्दों पर हमेशा कायम रहनेवाली सामाजिक चुप्पी को अब वास्तविक रूप से और अच्छी तरह तोड़ा गया है तथा भारत सरकार इसे एक प्राथमिक मुद्दा मानकर इसका निराकरण करने की दिशा में अग्रसर है।

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प्रकाशित 12 April 2016