ब्रिटेन और भारत ने अनुसंधान के व्यवसायीकरण में सहयोग के करोड़ों पाउंड के कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए
यह नया कार्यक्रम ब्रिटेन-भारत अनुसंधान एवं नव-प्रवर्तन साझेदारी को और मजबूत करता है।
इस सहयोग कार्यक्रम पर 12 मार्च को लंदन के इनोवेट कॉन्फ्रेंस में हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर ब्रिटिश विश्वविद्यालय और विज्ञान मंत्री डेविड विलेट्स भी उपस्थित थे।
ब्रिटेन और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने उन नव-प्रवर्तनकारी ब्रिटिश एवं भारतीय कंपनियों के समर्थन के लिए एंक संयुक्त कार्यक्रम चलाने पर सहमति प्रकट की है, जो ऊर्जा तथा स्वास्थ्य की देखभाल सहित विभिन्न प्रमुख विषयों के अनुसंधान के व्यवसायीकरण पर मिल कर कार्य कर रही हैं। इस सहयोग कार्यक्रम पर 12 मार्च को लंदन के इनोवेट कॉन्फ्रेंस में हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर ब्रिटिश विश्वविद्यालय और विज्ञान मंत्री डेविड विलेट्स भी उपस्थित थे।
यह नया कार्यक्रम ब्रिटेन-भारत अनुसंधान एवं नव-प्रवर्तन साझेदारी को और मजबूत करता है, जो पिछले महीने में प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन की भारत-यात्रा के प्रमुख विषयों में से एक था। इसमें शामिल किए गए विषय संबंधी क्षेत्रों में मौजूदा गठजोड़ों को आगे बढ़ाने में दोनों देश सक्षम होंगे। यह समझौता यूरोप के बाहर की गई पहली अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी है, जिस पर टेक्नोलॉजी स्ट्रेटेजी बोर्ड ने हस्ताक्षर किए हैं। इस सहयोग कार्यक्रम से टी.एस.बी और भारत सरकार द्वारा प्रायोजित जी.आई.टी.ए. तीन साल की अवधि तक संयुक्त आर एंड डी एवं नव-प्रवर्तनकारी परियोजनाओं में ब्रिटिश तथा भारतीय कंपनियों एवं अकादमिक विद्वानों को समर्थन देंगे।
इस समझौते के बारे में टेक्नोलॉजी स्ट्रेटेजी बोर्ड के चीफ एग्जीक्यूटिव ईएन ग्रे ने कहा:
ये कार्यक्रम न सिर्फ देशों के बीच संबंध मजबूत बनाने, बल्कि कंपनियों के बीच अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियां कायम करने में भी मददगार होते हैं, जो आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण है।
इस कार्यक्रम पर पहले दो संगठनों के बीच सहमति हुई है और इससे आगे चलकर दोनों देशों की कंपनियों को अधिक पारस्परिक लाभ मिलने की आशा है। भारत तेजी से प्रगति करने वाली अर्थव्यवस्था है, जो नव-प्रवर्तनकारी ब्रिटिश कंपनियों को अपार अवसर प्रदान करती है। ब्रिटिश कंपनियां सदृश भारतीय कंपनियों के साथ काम करते हुए अत्यंत गतिशील और तेजी से फैलते बाजार की जरूरतों को समझने में सक्षम हैं। टेक्नोलॉजी स्ट्रेटेजी बोर्ड का समर्थन उनके बीच साझेदारियों के निर्माण में सहायक होगा। वह संयुक्त, सहयोगात्मक आर एंड डी एवं नव-प्रवर्तनकारी परियोजनाओं को समर्थन देगा।
भारत स्थित ब्रिटिश उच्चायुक्त सर जेम्स बेवन ने कहा:
मुझे यह देख कर खुशी है कि ब्रिटेन का टेक्नोलॉजी स्ट्रेटेजी बोर्ड भारत में साझेदारों के साथ मिल कर कार्य कर रहा है। यह ब्रिटेन एवं भारत की उन अनुसंधान साझेदारियों के अतिरिक्त है, जो 2008 में एक मिलियन पाउंड से भी कम की थीं, लेकिन आज 100 मिलियन पाउंड के पार चली गई हैं। जिस प्रकार ये अनुसंधान साझेदारियां हमारे संस्थानों द्वारा की गई पूर्व-व्यावसायिक अनुसंधान को समर्थन देती है, उसी प्रकार यह नया कार्यक्रम नव-प्रवर्तनकारी कंपनियों को मिल कर कार्य करने के प्रत्यक्ष रूप से नए अवसर प्रदान करेगा।
अधिक जानकारी के लिए:
टेक्नोलॉजी स्ट्रेटेजी बोर्ड: टी.एस.बी. ब्रिटेन की नव-प्रवर्तक एजेंसी है। इसका लक्ष्य व्यवसाय- नीत नव-प्रवर्तन को बढ़ावा एवं समर्थन देते हुए आर्थिक संवृद्धि में तेजी लाना है। डिपार्टमेंट फोर बिजनेस, इनोवेशन एंड स्किल्स (बीआईएस) द्वारा प्रायोजित टेक्नोलॉजी स्ट्रेटेजी बोर्ड व्यवसाय, अनुसंधान एवं सार्वजनिक क्षेत्र को एकजुट करता है और नव-प्रवर्तनकारी उत्पादों तथा सेवाओं के विकास को समर्थन देकर उनमें तेजी लाता है, ताकि बाजार की जरूरतों की पूर्ति की जा सके, प्रमुख सामाजिक चुनौतियों से निपटा जा सके और भावी अर्थव्यवस्था के निर्माण में मदद की जा सके।
ग्लोबल इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी अलायंस : जी.आई.टी.ए. एक गैर-मुनाफा आधारित कंपनी (सेक्शन-25) है, जो कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री, टेक्नोलॉजी बोर्ड और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संयुक्त प्रायोजित है। जी.आई.टी.ए. भारत की पारिस्थितिकी प्रणाली को मजबूत बनाने का कार्य करती है। वह यह काम प्रौद्योगिकी एवं नव-प्रवर्तन से उत्प्रेरित उद्यमों को समर्थन देने एवं सक्षम बनाने के जरिए करती है।