‘अच्छे दिन आनेवाले हैं’: चांसलर जॉर्ज ऑस्बॉर्न
‘आइए, हम हाथ मिलाएं और साथ-साथ भविष्य का आलिंगन करें’, भारत दौरे के अपने पहले दिन मुंबई में चांसलर का वक्तव्य।
मुंबई इस महान देश की आर्थिक राजधानी है – और इसलिए मेरे देश और आपके बीच उस गहन आर्थिक सहभागिता पर वार्ता के लिए इससे अच्छा कोई स्थान नहीं है, जिसे हम और भी गहन बना सकते हैं।
यह अच्छा है कि हम ऐसे समय यहां उपस्थित हैं जब भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में एक उत्तेजक वातावरण है, और भविष्य के अवसरों की संभावनाएं बिल्कुल स्पष्ट हैं।
मैं यहां एक दिन पहले से हूं और हवा में गुनगुनाहट का अनुभव कर सकता हूं।
और यह गुनगुनाहट या उत्तेजना भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य में विदेशी अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के नए विश्वास के समरूप है।
यह प्रधानमंत्री मोदी की नई सरकार की महत्वाकांक्षा और प्रबल प्रेरणा और रफ्तार की माप है, कि चुनावों में विलक्षण विजय के केवल सात सप्ताहों में इसने भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति भावनाओं में पूर्णतः कायापलट प्राप्त कर लिया है।
अब, इन संभावनाओं को सुधारों के लिए एक ठोस कार्यक्रम में परिणत करने की चुनौती आई है।
हमने चार वर्ष पूर्व इन चुनौतियों का सामना किया था जब हमें अपनी बड़ी आर्थिक मंदी के बाद ब्रिटेन के प्रति भावनाओं में कायापलट करने की जरूरत महसूस हुई। हमने अपनी दीर्घावधि आर्थिक योजना का निर्धारण किया और इसके अनुसार कार्य किए।
अब ब्रिटेन दुनिया की तेजी से बढ़ती आधुनिक बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ इसकी उपज बटोर रहा है, घाटे को पूरा करने की शुरुआत हो चुकी है और बड़ी संख्या में ब्रिटेन निवासी काम में लगे हैं।
आपका बजट आने में बस कुछ ही दिन और हैं- और अपेक्षाएं बहुत ज्यादा हैं।
लेकिन अपने सहयोगी अरुण जेटली से वार्ता के बाद निर्णय करते हुए, मुझे पूरा-पूरा विश्वास है कि वे और उनकी सरकार द्वारा इन अपेक्षाओं को स्वीकार किया जाएगा और इन्हें पूरा करने में सफलता प्राप्त होगी।
मुझे मि. जेटली और प्रधानमंत्री महोदय के कल के दृष्टिकोण की प्रतीक्षा है, और मैं अभी आपके केंद्रीय बैंक के प्रभावशाली गवर्नर राजन के साथ मिलकर आया हूं।
सुधारकों की इस टीम के लिए मेरा संदेश वही है जो आपके लिए आज का मेरा संदेश है।
प्रधानमंत्री मोदी के एक वाक्यांश का उपयोग करते हुए: भारत- ब्रिटेन संबंधों के लिए अच्छे दिन आनेवाले हैं।
परस्पर अर्थव्यवस्थाओं में हमारे निवेश के लिए अच्छे दिन आनेवाले हैं।
हमारे दोनों व्यापारिक राष्ट्रों के बीच व्यापार के लिए अच्छे दिन आनेवाले हैं।
उन वित्तीय सहयोगों के लिए, जिन्हें हम भविष्य की आधारभूत संरचना के तौर पर निर्मित कर सकते हैं, अच्छे दिन आनेवाले हैं।
जब मैं यह कहता हूं तो मेरा मतलब है:
अच्छे दिन सचमुच आनेवाले हैं।
मैं इतना आश्वस्त कैसे हो सकता हूं?
हां, कुछ हद तक, क्योंकि हम एक मजबूत स्थिति से शुरुआत कर रहे हैं।
ब्रिटिश-भारतीय समुदाय ने हमारे समाज और हमारी राष्ट्रीय समृद्धि में एक बड़ा योगदान दिया है। वे हमारे दोनों देशों के बीच बढ़ती आर्थिक साझेदारी के अग्रणी समूह हैं। और ब्रिटिश- भारतीय समुदाय में हाउस ऑफ कॉमंस के मेरी सहयोगी प्रीती पटेल एमपी से बड़ा कोई महारथी नहीं है, जो आज हमारे साथ उपस्थित हैं।
भारत और ब्रिटेन के बीच यह आर्थिक भागीदारी अब और भी सशक्त हो रही है।
मेरे यहां चांसलर के तौर पर आगमन के समय से, ब्रिटेन से भारत को निर्यात में 50% का इजाफा हुआ है और भारत से आयात में भी एक तिहाई वृद्धि हुई है। ब्रिटिश कंपनियां वर्तमान में भारत के कुछ सबसे बड़े विदेशी निवेशकों में शामिल हैं।
और भारतीय कंपनियों द्वारा ब्रिटेन में किया गया निवेश, यूरोपीय संघ के कुल निवेश से ज्यादा है।
यह उन व्यावसायिक लोगों की पटुता और उद्यमशीलता द्वारा प्रेरित रहा है, जो वृहत्तम बहुराष्ट्रीय व्यावसायिक समूहों के प्रबंधक से लेकर छोटी से छोटी कंपनियों स्वामी हैं, जिन्होंने पहला कदम उठाने की चुनौती स्वीकार की और निर्यात की शुरुआत की थी।
और इन्हें ब्रिटिश सरकार के वृहत, संकल्पित प्रयासों का समर्थन मिलता रहा है।
दीर्घावधि आर्थिक योजना के केंद्र में, जिसका हम अनुसरण कर रहे हैं, एक संकल्प है, जो न केवल ब्रिटेन को लोक वित्त को नियंत्रित तथा संतुलित करने के लिए कड़े फैसलों के साथ अपने साधनों के भीतर निर्वाह का संकल्प देता है, बल्कि यह संकल्प भी कि हम उन साधनों का विकास उन उत्पादों को बनाने और उन सेवाओं को उपलब्ध कराने में करेंगे, जिन्हें शेष दुनिया खरीदना चाहती है।
हमारे निर्यात को बढ़ाने, निवेश में वृद्धि तथा अर्थव्यवस्था को पुनःसंतुलित करने का काम अभी पूरा नहीं हुआ है।
हमें और कार्य करने हैं।
भारत के साथ और कार्य करने हैं।
उस क्षण से लेकर, जब आठ वर्ष पूर्व 2010 में प्रधानमंत्री के रूप में डेविड कैमरॉन ने अपने पहले बड़े विदेश दौरे के लिए भारत को गंतव्य बनाने का निर्णय लिया था और यहां आए थे, नई भारतीय सरकार के कार्यरत होने के बस कुछ सप्ताह बाद मुलाकात के लिए ब्रिटिश चांसलर और ब्रिटिश विदेश सचिव के इस अभी तक के पहले संयुक्त दौरे तक, हमने अपनी विदेश और आर्थिक नीतियों के केंद्र में ब्रिटेन और भारत के अपेक्षाकृत मजबूत संबंधों को स्थान दिया है।
और मेरा विश्वास है कि ब्रिटेन के साथ अपेक्षाकृत मजबूत संबंधों से भारत सरकार की नई आर्थिक नीति के प्रस्तुतिकरण में सहायता मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी भारतीय अर्थव्यवस्था में और अधिक निवेश के इच्छुक हैं- और मैं चाहता हूं कि ब्रिटिश कंपनियां इसे उपलब्ध कराएं और ब्रिटिश सरकार इसका समर्थन करे।
हमारे पास जेसीबी जैसे वृहत्त विनिर्माण व्यवसाय हैं, जो यहां रोजगार का सृजन तथा निर्माण क्षेत्र को ऊर्जा प्रदान करते हुए जयपुर में दो नए संयंत्र लगा रहे हैं।
हमारे पास डियागो है, हमारी प्रमुख पेयपदार्थ कंपनी, जो इस माह अपने भारतीय व्यवसाय में 1 करोड़ पौंड का निवेश कर रही है।
हमारे पास बीपी है, जिसने भारतीय ऊर्जा क्षेत्र के इतिहास में यहां अब तक का सबसे बड़ा निवेश किया है।
गत दो दिनों में हमने ब्रिटेन में सैकड़ों नए रोजगार का सृजन करते हुए, भारतीय वायुसेना को ब्रिटिश रक्षा उपकरणों की आपूर्ति के लिए 25 करोड़ पौंड का नया व्यापार समझौता संपन्न किया है।
कल विलियम तथा मैं दिल्ली की यात्रा कर रहे हैं, जहां हम पुनःप्रारूपित दिल्ली हवाई अड्डे का नया यातायात नियंत्रण टॉवर देखेंगे, जो अत्याधुनिक तकनीक अधारित ब्रिटिश डिजाइन तथा विशेषज्ञता का साकार नमूना है।
और कल ही मैं भारतीय मूलभूत संरचना क्षेत्र में इस ब्रिटिश निवेश तथा विशेषज्ञता को और अधिक प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए, विस्तृत पैमाने पर हमारे निर्यात वित्त के पूर्णतः नए और मौलिक इस्तेमाल के साथ हमारी नई महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत भी करूंगा, जो बैंगलोर मुंबई आर्थिक गलियारे जैसी महत्वपूर्ण भारतीय मूलभूत संरचना परियोजनाओं को समर्थन प्रदान करेगा।
सरकार में मेरे सहयोगी ग्रेग बार्कर एमपी को हमारे प्रधानमंत्री ने यह जिम्मेदारी दी है कि वे इस गलियारे को साकार करने में सहयोग करें और वे आज हमारे साथ यहां उपस्थित हैं।
लेकिन अब वे दिन बीत गए जब निवेश और निर्यात का एक ही दिशा में पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाह होता था।
भारतीय व्यवसायी ब्रिटेन के बहुत बड़े निवेशक हैं।
मैं और भी ज्यादा निवेश का इच्छुक हूं।
और यही है जो यहां की नई सरकार भी चाहती है: भारतीय कंपनियां और भारतीय मौलिकता और भारतीय तकनीकी दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को शक्ति प्रदान कर रही है।
टाटा की ब्रिटेन में पहले से ही एक वृहत और सफल उपस्थिति रही है – और यह उस देश में विनिर्माण क्षेत्र का एक सबसे बड़ा नियोजक भी है।
आज मैं यह घोषणा कर सकता हूं कि महिंद्रा भी उनमें साथ आ रहे हैं।
मैं अभी अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी ओलिवर लेटविन के साथ कांदिवली के महिंद्रा संयंत्र का दौरा समाप्त करके यहां आया हूं।
यह महान भारतीय व्यवसाय अब ब्रिटेन में अत्याधुनिक विद्युत कार प्रौद्योगिकी के विकास में 2 करोड़ पौंड का निवेश करने जा रहा है।
और अगले वर्ष से महिंद्रा की पहली विद्युत कार ब्रिटेन में बिक्री के लिए उपलब्ध होने की संभावना है।
ब्रिटेन विद्युत कार के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी क्रांति का एक केंद्र बनना चाहता है।
भारत अपनी कंपनियों से इस क्रांति में नेतृत्व की अपेक्षा रखता है।
सहभागिता के साथ कार्य कर हम अपने दोनों आर्थिक लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।
और हम इस सहभागिता को न केवल वाहन क्षेत्र, बल्कि औषध निर्माण क्षेत्र में भी देखते हैं।
यहां भारत में ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन बड़े निवेशक हैं।
मैं यह ऐलान कर सकता हूं कि अब भारत की एक सबसे बड़ी औषध निर्माता कंपनी, सिप्ला, प्रश्वास तथा कर्करोग संबंधी नई दवाओं तथा एंटीरेट्रोवायरल औषधियों के शोध तथा विकास मं 10 करोड़ पौंड का निवेश करने जा रही है।
इस प्रकार के उच्च प्रौद्योगिक, शोध प्रेरित निवेश हमारी अर्थव्यवस्थाओं के भविष्य हैं।
हम साथ-साथ और भी आर्थिक प्रबंध कर सकते हैं।
मुझे मालूम है कि प्रधानमंत्री मोदी गुजरात में नए मूलभूत संरचना क्षेत्र में आर्थिक प्रबंधन में हासिल की गई सफलता को पूरे भारत में दुहराने के लिए दृढ़संकल्पित हैं।
ब्रिटेन उनके समर्थन में तत्पर है, क्योंकि हम वैश्विक आर्थिक प्रबंध के केंद्र में हैं और आर्थिक क्षेत्र की विशेषज्ञता के मूलभूत उद्भव स्थल हैं।
हम यहां नए बांड बाजार तथा नई आर्थिक सेवाओं के विकास में आपके साथ काम करने के इच्छुक हैं।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने इस सप्ताह यहां अपनी 100वीं शाखा के प्रारंभ की घोषणा की है – और यहां सबसे बड़ी विदेशी बैंक उपस्थिति के रूप में अपना स्थान सुनिश्चित किया है।
और हम आर्थिक सेवाओं के क्षेत्र में इस नई सहभागिता का उपयोग करते हुए लंदन की उस भूमिका को विकसित करना चाहते हैं, जो वह भारतीय व्यावसायिक उद्यमों के वैश्विक पूंजी बाजार में प्रवेश के लिए अपेक्षित प्रवेशद्वार के रूप में निभा सकता है।
लंदन में जुटाया गया कोष, ब्रिटिश विशेषज्ञता के सहयोग से बढ़ती हुई भारतीय अर्थव्यवस्था के मूलभूत ढांचे की वित्तीय सहायता में प्रयुक्त किया जाएगा।
और इस कारण से कि ब्रिटेन रेनमिनबी के अंतर्राष्ट्रीयकरण में चीन का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है, मैं यह देखना चाहता हूं कि हम रुपए को एक बड़ी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में विकसित करने में आपका किस प्रकार सहयोग कर सकते हैं, जो मेरा विश्वास है कि हो पाना संभव है।
कल मैं रुपए को निर्यात हेतु नामित करने की रोमांचक यात्रा के पहले कदम के रूप में हमारे द्वारा प्रस्तावित नए वादों के विवरण की घोषणा करूंगा।
न केवल आर्थिक क्षेत्र में, बल्कि शिक्षा, विज्ञान तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्रों सहित बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें हम साथ मिलकर काम कर सकते हैं।
आपकी नई सरकार के अंतर्गत भारत सुधारों के क्षेत्र में अपनी रोमांचक यात्रा की शुरुआत कर रहा है।
मेरा विश्वास है कि इस यात्रा में आपका ब्रिटेन से अधिक विश्वस्त सहयोगी और कोई नहीं होगा।
आइए, हम हाथ मिलाएं।
साथ-साथ भविष्य का आलिंगन करें।
भारतीयों तथा ब्रिटेन निवासियों के रोजगार तथा समृद्धि के लिए साथ मिलकर काम करें।
क्योंकि अच्छे दिन आने वाले हैं।