भारत-ब्रिटेन टेक समिट: प्रधानमंत्री का अभिभाषण
प्रधानमंत्री थेरेसा मे भारत-ब्रिटेन टेक समित के उद्घाटन के अवसर पर भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार और संबंध के बारे में बोलीं।
भारत आकर मैं बहुत खुश हूं। प्रधानमंत्री मोदी: न केवल मैंने आपके निमंत्रण को तुरंत स्वीकार किया बल्कि मैंने इसे प्रधानमंत्री के रूप में यूरोप से बाहर का अपने पहले द्विपक्षीय दौरे के रूप में महत्व दिया और यह मेरा पहला व्यापार शिष्टमंडल भी है।
मैं बताती हूं इसका कारण। इसका कारण है हमारे दोनों देशों के बीच की अति महत्वपूर्ण साझेदारी जो न केवल हमारे बीच के व्यापार के क्षेत्र में बल्कि हमारे द्वारा साझा किए जाने वाले मूल्यों: लोकतंत्र, उत्तरदायित्व, कानूनसम्मत और निष्पक्ष शासन में भी झलकती है। व्यापार, मूल्यों, संस्कृति और बेशक हमारे लोगों के बीच - ऐसे में जबकि पंद्रह लाख भारतीय मूल के लोग ब्रिटेन में रहते हैं- बहुत कुछ साझा है।
भारत और ब्रिटेन पर नजर डालिए तो आप इसके प्रमाण पाएंगे: हम एक दूसरे के संगीत सुनते हैं, एक दूसरे के व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं और क्रिकेट पिच पर एक दूसरे के जोरदार प्रतिद्वंद्वी होते हैं। और इस सिलसिले में मेरा ध्यान इंगलैंड और भारत के बीच बुधवार को गुजरात में शुरू होने वाले टेस्ट सिरीज पर लगा है।
जब दो देश जो भारत और युनाइटेड किंगडम जितने प्राचीन हों तो लोगों के मन में इतिहास में झांकने, बीते वर्षों के बारे में चर्चा करने की बात उठना स्वाभाविक है और यह भी स्वाभाविक है, हम अपने बीच के संबंधों हल्के से लें या उनके बारे में अटकलें लगाएं। स्पष्ट कहूं तो ब्रिटेन के लोगों ने अतीत में ऐसा खूब किया है। मैं ऐसा करना नहीं चाहती। आज मैं इस संबंध के बारे में और उस अनंत संभावनाओं के बारे में बात करना चाहती हूं जिनके बारे में मेरा मानना है कि भविष्य में उनके द्वारा खुलेंगे।
मैं इस दौरे का उपयोग प्रधानमंत्री मोदी, उनकी टीम और भारतीय उद्योगपतियों के साथ यह चर्चा करने में करूंगी कि हम उन संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए किस तरह साथ मिलकर काम कर सकते हैं, कैसे ऐसी साझेदारी विकसित हो सकती है जो हमारे साझे भविष्य को द्विपक्षीय और वैश्विक स्तर पर साझे भविष्य के गठन पर मूलतः केंत्रित हो।
व्यापार और निवेश क्यों
मैंने कहा है कि मैं ब्रिटेन को दुनिया में मुक्त व्यापार का सबसे जोशीले पैरोकार के रूप में देखने को प्रतिबद्ध हूं। ऐसा इसलिए क्योंकि मुक्त व्यापार ऐसे ज्वार को जन्म देता है जो सभी नावों को उठाता है। यह हम सबको अधिक अमीर बनाता है। इससे रोजगार भी पैदा होता है। इससे निवेश बढ़ता है। इससे उत्पादकता बढ़ती है। यह जीवन स्तर को बदल देता है और हमारे सभी नागरिकों के लिए अवसरों के द्वार खोलता है।
इन्हीं सब कारणों से हम मुक्त व्यापार में विश्वास करते हैं। यही कारण है कि ब्रिटेन के ईयू छोड़ने के बाद हमने तय कर लिया है कि हम दुनिया की ओर से अपना मुंह नहीं मोड़ेंगे बल्कि एक नई, वैश्विक, बहिर्मुखी भूमिका अपने लिए तलाशेंगे। क्योंकि हम इतिहास से जानते हैं कि देश यदि अवसरों को गले नहीं लगाता तो क्या हश्र होता है। उनका विकास अवरूद्ध हो जाता है। वे गरीब हो जाते हैं। वे अपने लोगों की रक्षा नहीं कर पाते; वे उनकी स्थिति को बदतर कर देते हैं।
बेशक, कोई भी देश किसी दूसरे देश के लोगों की आजीविका के लिए जिम्मेदार नहीं होता। लेकिन जब हम समान मूल्यों, साझे वैधानिक प्रणालियों, व्यवसाय के प्रति समान रुझान और दुनिया को देखने के समान नजरिए वाले किसी देश के साथ साझेदारी में काम करते हैं तो सफलता की संभावना सर्वोच्च हो जाती है।
इसीलिए मैं अपने पहले व्यापार मिशन पर और यूरोप से बाहर की पहली यात्रा पर भारत आई हूं। क्योंकि हमारे दोनों देशों के बीच अधिक व्यापार, अधिक निवेश और व्यवसाय करने में कम बाधाओं के होने से हम अधिक समृद्ध, शांतिपूर्ण और सुरक्षित होंगे। और इस अनोखी साझेदारी के तहत हमारे लिए उन चीजों को आगे बढ़ाने की भरपूर संभावना है।
हमारा आरंभ बिंदु
ब्रिटेन भारत में सर्वाधिक निवेश करने वाला जी20 देश है और भारत द्वारा यूरोपीयन संघ के किसी भी अन्य देश के मुकाबले ब्रिटेन में सर्वाधिक निवेश किया जाता है.. ये बातें हमारे लिए एक मजबूत आरंभ बिंदु की तरह हैं। 800 से अधिक भारतीय व्यवसायी ब्रिटिश जीवन के अंग हैं जिसमें से एक तो जैगुआर लैंडरोवर के स्वामी टाटा हैं जो हमारे यहां विनिर्माण के क्षेत्र में सबसे बड़े रोजगार प्रदाता हैं। अभी, भारत में इंजन से लेकर बीमा तक ब्रिटिश कंपनियां हर तरह की चीजों का निर्यात करती हैं।
इसमें से अधिकतर चीजें इसलिए संभव हुई हैं क्योंकि हमारे दोनों देशों के बीच अति विशिष्ट संबंध हैं। लेकिन वे चीजें हमारे व्यापार और सहयोग के रास्ते में सतत बनी रहने वाली बाधाओं के बावजूद घटित हो रही हैं।
जरा सोचिए कि यदि हमारी सरकारें और अधिक घनिष्ठता के साथ मिलकर काम करें; यदि हम अपने बीच के संबंधों का और अधिक लाभ उठा सकें; और यदि हम व्यापार और निवेश ही नहीं बल्कि विचारों, नवप्रवर्तन और प्रौद्योगिकी को भी अपनी महत्वाकांक्षाओं में शामिल कर लें तो हम कितनी लंबी दूरी तय कर सकेंगे।
बढ़ते कदम
इस पर चर्चा करने के लिए भारत-ब्रिटेन टेक समिट से अधिक मुफीद और कोई दूसरी जगह नहीं हो सकती, क्योंकि यही वह मंच है जहां संवर्धित व्यापार और निवेश की इतनी बड़ी संभावना मौजूद है।
हर सेकेंड जहां तीन नए भारतीय इंटरनेट से जुड़ रहे हैं, ऐसा देश जो एक अरब लोगों के डिजिटल बाजार बनने की राह पर है और मुंबई से लेकर हैदराबाद या साइबराबाद तक जहां इतनी बड़ी तादाद में ग्रेजुएट युवा स्टार्ट-अप के साथ सामने आ रहे हैं, यह क्षेत्र अवसरों से भरपूर है। दरअसल, मैं स्वयं कल भारत की स्टार्ट-अप राजधानी बेंगलुरू को देखने जाने वाली हूं। पुनः, इसमें भी हमारे लिए अवसर हैं। पुणे में हमारे 3डी प्रिंटिंग टूल्स हैं, भारत के सुदूरतम इलाकों में सौर ऊर्जा पहुंचाई जाती है और मसाला बॉन्ड के जरिए भारतीय अवसंरचना के क्षेत्र में कोष मुहैया कराया जाता है।
आज मैं सोचना चाहती हूं कि सरकार के रूप में और व्यवसायी के रूप में तथा इस संबंध में हितधारक के रूप में कैसे हम दोनों के आपसी लाभ के लिए इस दिशा में और अधिक प्रगति कर सकते हैं।
पहला, हम इस बात की पहचान कर सकते हैं कि किन जगहों पर अवसर मौजूद हैं और किस प्रकार के व्यवसाय में उनका अधिकतम लाभ उठाया जा सकता है।
ठीक यही काम हम इस प्रतिनिधिमंडल के साथ कर रहे हैं - ब्रिटेन के हर क्षेत्र से अपने कुछ सबसे बड़े, सबसे सफल कंपनियों और सर्वाधिक उज्जवल स्टार्ट-अप्स को हम साथ लाए हैं ताकि उनके लिए नए बाजारों को द्वार खुलें और उन्हें व्यापक विश्व में प्रोत्साहन मिले।
उनमें से एक हैं कैनो जो ब्रिटेन के स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। जरा सोचिए भारत में इसका क्या असर पड़ेगा। दूसरे हैं टेलेंसा जो स्मार्ट स्ट्रील लाइटिंग का अग्रणी निर्माता हैं। भारत में शहरी रूपांतरण के कार्य में उनके लिए भूमिका निभाने के विशाल अवसर हैं। एक अन्य हैं ऑक्सफोर्ड नैनोपोर। वे जीन सीक्वेंसिंग के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं और वे भारत में बीमारियों की स्क्रीनिंग की लागत में अभूतपूर्व कमी लाने में मदद कर सकते हैं।
दूसरी बात, कि हम एक दूसरे की प्राथमिकताओं को अपनी प्राथमिकता के रूप में देख सकते हैं।
हम दोनों देशों के लिए यह जरूरी है कि हम शताब्दी तक आगे के अवसरों का लाभ उठाएं। और साथ मिलकर हम ऐसा कर सकते हैं। एक ओर जहां प्रधानमंत्री श्री मोदी की स्मार्ट शहर, डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया योजनाएं हैं, ब्रिटेन में हम आर्थिक सुधार, सामाजिक सुधार और ऐसे देश के निर्माण पर ध्यान दे रहें हैं जो सबके लिए काम करे।
मेरा मानना है कि हमें अपने-अपने प्रयासों में अपनी पूरी ताकत झोंक देनी चाहिए। दरअसल, हमारे शहरी योजनाकार आपकी स्मार्ट शहर योजना पर काम कर रहे हैं और वाई-फाई को संपूर्ण भारत में अधिक सुविधाजनक बनाया जा रहा है; इधर भारतीय निवेश से हमें अपनी अर्थव्यवस्था को विविधतापूर्ण बनाने और हमारे देश के हर भाग में समृद्धि लाने में मदद मिल रही है।
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी और मैं स्मार्ट शहर पर केंद्रित एक नई भारत-ब्रिटेन शहरी साझेदारी की घोषणा करते हुए इससे भी आगे जाने वाले हैं जो हमारे दीर्घकालीन संबंध का जोरदार प्रदर्शन होगा: न केवल व्यापार के क्षेत्र में बल्कि कौशल, तकनीक और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान के लिहाज से भी।
तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात, हम बाधाओं को तोड़ सकते हैं और व्यवसाय को और अधिक आसान बना सकते हैं। इसका अर्थ केवल अपनी ओर से आर्थिक सहायता देना नहीं है जैसा कि ब्रिटेन जी7 में सबसे कम कॉरपोरेट टैक्स, एक्सपोर्ट फाइनांस और ब्रिटेन में शोधकार्य तथा विकास करने वालों के लिए कर विराम के जरिए कर रहा है। इसका अर्थ है एक दूसरे को व्यापार और निवेश की बाधाओं को हटाने में मदद करना और अपने देशों में निवेश करना।
इसी कारण भारत में व्यवसाय करना आसान बनाने के लिए ब्रिटेन प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर उनके मिशन में काम कर रहा है, उदाहरण के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों को मजबूत करना और भारतीय बाजार में विश्व-अग्रणी सेवा क्षेत्र को काम करने की सुविधा मुहैया करना जो भारत और ब्रिटेन दोनों के हित में है।
लेकिन मैं इससे भी आगे जाने को कटिबद्ध हूं। मैं प्रधानमंत्री मोदी से इस बात पर चर्चा करूंगी कि किस तरह हमारे व्यापार और निवेश की विविधता और परिमाण में वृद्धि किया जाए और यह चिह्नित किया जाए कि अपने व्यवसायों, उद्योगों, निर्यातों और निवेशकों के लिए और क्या कुछ किया जा सकता है। इसके लिए हमें ईयू से निकलने तक इंतजार करने की जरूरत नहीं है।
हमें यह भी समझना होगा कि प्रभावी व्यापार और निवेश के लिए केवल कानूनी ढांचों के जरूरी नहीं हैं बल्कि लोग भी उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि जिन्हें हमारे दोनों देशों के बीच व्यवसाय के लिए यात्रा करनी पड़ती है वे ऐसा कर सकते हैं।
यही कारण है कि जब मैं गृह मंत्री (होम सेक्रेटरी) थी तो मैंने भारत के लोगों के लिए वीजा प्रक्रिया को आसान बनाया। भारत में अब दुनिया की एक सर्वोत्तम ब्रिटिश वीजा सेवा है, जहां किसी भी दूसरे देश की तुलना में अधिक आवेदन केंद्र हैं और यह एक मात्र देश जहां एक ही दिन में वीजा पाने की सुविधा है।
ऐसा इसलिए हो सका क्योंकि हमने व्यवसाय जगत की आवाज पर ध्यान दिया। और हम उनकी आवाज अब भी सुन रहे हैं - हमें इस बात का इल्म है कि आपकी और हमारी अर्थव्यवस्थाओं के लाभ के लिए कितनी अधिक संख्या में भारत से लोग अपने विचारों, कौशलों और व्यवसाय को लेकर ब्रिटेन आना चाहते हैं।
इसलिए यह पहली बार है कि हम ब्रिटेन आने के लिए वीजा पाने के इच्छुक किसी देश के लिए एक योजना लाने जा रहे हैं जिसका नाम होगा रजिस्टर्ड ट्रैवलर स्कीम।
इसका अर्थ होगा ऐसे भारतीयों के लिए जिन्हें ब्रिटेन बार-बार आना पड़ता है और जो हमारे दोनों देशों के विकास को गति देते हैं उनके लिए प्रवेश प्रक्रिया को बेहद आसान बनाना। कम संख्या में फॉर्म भरने की आवश्यकता। ईयू/ईईए पासपोर्ट कंट्रोल तक पहुंच। हमारे हवाईअड्डों से होकर त्वरित आवागमन। संक्षेप में, ब्रिटेन और भारत के लिए अधिक अवसर और एक स्पष्ट संदेश कि ब्रिटेन के द्वार व्यवसाय के लिए बिल्कुल खुले हैं।
निष्कर्ष
अंत में, मैं मुक्त व्यापार और निवेश के महत्व पर दिए गए अपने तर्कों को दुहराना चाहूंगी। क्योंकि हम इसे पूरी दुनिया में होता हुआ देखना चाहते हैं, न केवल अपने देशों के को अधिक समृद्धि बनाने के लिए बल्कि उन्हें अधिक स्थिर और सुरक्षित बनाने के लिए भी।
ब्रिटेन और भारत इसमें बड़ी भूमिका निभा सकते हैं, इसमें हम अग्रणी हो सकते हैं, जिससे अधिक से अधिक देश इन चीजों में साझेदारी कर सकते हैं। यह उन अनेक चीजों में से एक चीज है जिसे हासिल करने के लिए, दोनों देशों के बीच इस साझेदारी के जरिए, मैं उम्मीद करती हूं कि प्रधानमंत्री मोदी और मैं, और सही मायने में, इस कक्ष में उपस्थित सारे लोग मदद कर सकते हैं।
धन्यवाद!
प्रधानमंत्री की भारत यात्रा की नवीनतम जानकारी।