'भारत और यूके की कम्पनियों के बीच उल्लेखनीय भागीदारी के अवसर'
1 जुलाई, 2016 को बेंगलुरू में आयोजित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और रक्षा विनिर्माण प्रदर्शनी में ब्रिटिश उप उच्चायुक्त डॉमिनिक मैकएलिस्टर का सम्भाषण।
मैं इस महत्वपूर्ण अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र के सम्मेलन का हिस्सा बनकर काफी हर्षित हूं।
यहां बेंगलूरु में ब्रिटिश उप उच्चायुक्त के नाते मैं यूके-भारत के बीच स्थाई संबंधों और उसे भविष्य में और प्रगाढ़ करने के प्रयासों के विषय में कुछ शब्द कहना चाहता हूं।
भारत एक ऐसे ढांचे, जहां विदेशी प्रौद्योगिकी को यहीं अनुकूलित और निर्मित किया जाता है, से लेकर उस ढांचे की ओर बढ़ चला है जहां ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत प्रौद्योगिकियों को देश के भीतर ही विकसित किया जा रहा है।
लेकिन भारत अब भी विकास के चरण पर है जहां वह बड़े पैमाने पर नवाचारों का विकास, पोषण, आर्थिक रूप से मदद और व्यवसायीकरण करते हैं। इससे भारत और यूके की कम्पनियों के बीच महत्वपूर्ण साझेदारी के अवसर खुल गए हैं।
सम्मेलन के दौरान वक्ताओं को पता लगेगा:
- कैसे प्रौद्योगिकी में नई सोच से प्रक्रिया को और अधिक कुशल और प्रभावित बना सकते हैं।
- उत्पादन और डिजाइन की महत्ता
सम्मेलन में आगे आप देश में रोल्स-रॉयस के अध्यक्ष किशोर जयराम से जानेंगे कि कैसे रोल्स रॉयस और यूके अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में अग्रणी हैं।
वर्ष 2016 में यूके व्यापार और निवेश अपना ‘ग्लोबल इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी (जीईटी) टुगेदर’ अभियान का शुभारंभ करेगा जिसमें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण भाग है। इस अभियान का मुख्य केंद्र होगा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की बिक्री, आपूर्ति श्रृंखला, प्रशिक्षण और रखरखाव, मरम्मत और निरीक्षण (एमआरओ) की ओर साथ मिलकर विकास करना।
फरवरी में यूके व्यापार और निवेश भारत के एसीएमए (मोटर वाहन घटक निर्माता संघ) के साथ जुड़ा ताकि 18 भारतीय कम्पनियों के प्रतिनिधिमंडल को यूके के विभिन्न इंजीनियरिंग उत्कृष्टता वाले केंद्रों में ले जाया जाए। इस यात्रा में दोनों पक्षों ने काफी रुचि दिखाई और कई विचार विमर्श चल रहे हैं।
हमारी योजना में सम्मिलित है:
- आगामी 11 से लेकर 17 जुलाई को फार्नबरो में भारत-यूके की साझेदारी पर विशेष ध्यान (अपने सहयोगी एडीएस और यूकेआइबीसी की सहायता से)
- नई दिल्ली में नवम्बर में आयोजित होने वाले सीआइआइ के प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन में यूके की अंतरिक्ष विशेषज्ञता को प्रस्तुत करना।
- अगले वर्ष की शुरुआत में बेंगलुरु में आयोजित ‘अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी’ की प्रदर्शनी में साझेदारी की गतिविधियों की श्रृंखला। लेकिन यूके से ही साझेदारी क्यों?
- ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था का विश्व में पांचवां स्थान है और हम भविष्य में चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं।
- यूके भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है, वही भारत अन्य यूरोपीय संघ के देशों के मुकाबले यूके में ज्यादा निवेश करता है।
- यूके के पास विश्व स्तरीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और रक्षा आपूर्ति श्रृंखला है जिसमें 3,000 कम्पनियां शामिल हैं और वह यूरोप का सबसे बड़ा और विश्व स्तर पर अमेरिका के बाद का स्थान पाता है।
- विश्व के आधे से ज्यादा अत्याधुनिक विशाल वायुयान उस एयरबस के पंखों पर उड़ते हैं जिनका डिजाइन और निर्माण यूके में बनाया गया है।
- भारत और यूके पहले से ही आपूर्ति श्रृंखला सहयोगिता (विशेषत: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में), कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले वाहनों की प्रौद्योगिकी और मोटर वाहन और स्वचालन और रोबोटिक्स समेत विनिर्माण प्रौद्योगिकी की श्रृंखला पर साझा रूप से कार्यरत हैं;
- प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा है कि यूके और भारत के बीच ‘अद्वितीय संयोजन’ है। इस उप उच्चायोग में हम इस साझेदारी को कायम बना रखने की ओर कार्यरत हैं। लेकिन यह कार्य हम अकेले नहीं कर सकते । हमारी सफलता आपके सहयोग पर ही निर्भर करती है।
मुझे यहां अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करने के लिए एसआइएटीआइ का मैं आभारी हूं। मैं यहां के कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं और फार्नबरो एयरशो में आपकी सहभागिता की उम्मीद करता हूं।