भाषण

'विश्व की चुनौतियों से निपटने में सहायता देगी प्रौद्योगिकी'

‘भारत-ब्रिटेन: प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष में सहयोगी’ इस विषय पर एक पैनल चर्चा में कोलकाता में ब्रिटिश उप उच्चायुक्त ब्रुस बकनेल के कथनानुसार लेख।

यह 2016 to 2019 May Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था
BDHC Kolkata

हम तेज गति से हो रहे तकनीकी परिवर्तन के युग में जी रहे हैं। हम हाल में ही सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के दौर से गुजरे हैं। लेकिन हमने जानकारियों के डिजिटल स्वरूप में तेजी से संचरण के लागत और लाभ को समझना बस शुरू ही किया है। डिजिटल प्रौद्योगिकी से ही हम केवल एक बटन दबाकर अन्य प्रौद्योगिकी को दुनिया के किसी भी कोने में हस्तांतरित कर सकते हैं। 3डी प्रिंटर्स जैसी मशीनों के विकास से अब हम किसी के भी द्वारा वस्तुओं को किसी भी जगह, किसी भी समय फिर से निर्मित कर सकते हैं।

देवियो और सज्जनो, इस शाम के आयोजन में उपस्थित होने के लिए आप सभी का आभार। मैं कोलकाता में ब्रिटिश उप उच्चायुक्त ब्रुस बकनेल हूं। मैं यहां अगले महीने 7-9 नवम्बर को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले भारत-ब्रिटेन टेक समिट के प्रति आपकी उत्सुकता को बढ़ाने आया हूं। इस शाम का यह आयोजन भारत भर में ब्रिटिश उच्चायोग और उप उच्चायोग में मौजूद मेरे सहयोगियों द्वारा आयोजित अनेक कार्यक्रमों में से एक है।

मैं यहां आयोजन के सह-प्रायोजकों में से एक भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) के प्रतिनिधि कौशिक भट्टाचार्य के साथ उपस्थित होकर हर्षित हूं, जो अगले महीने के टेक समिट का संक्षिप्त विवरण देंगे। सीआइआइ द्वारा भारतीय सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और सहयोगी राष्ट्र के साथ मिलकर सह-आयोजित किया गया यह पहला टेक समिट नहीं है। लेकिन हमें उम्मीद है कि यह सर्वश्रेष्ठ होगा।

इस शाम यहां प्रौद्योगिकी के पहलुओं पर चर्चा करने के लिए हमने प्रतिष्ठित विशेषज्ञों के पैनल को एकत्रित किया है। वे हैं:

  • श्री सुदिप्तो मुखर्जी, टिटागढ़ वैगंस
  • श्री सुदिप दत्ता, आइआइडीएस लिमिटेड
  • सुश्री रूपा मिश्रा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज
  • डॉ. कुणाल सरकार, मेडीका सुपरस्पैशैलिटी हॉस्पिटल
  • डॉ. बैदुर्य भट्टाचार्य, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर

उनके विचार सुनने के साथ-साथ मैं आपके प्रश्नों और विचारों को जानने के लिए अधिक उत्सुक हूं। अंत में जलपान की व्यवस्था की गई है, इसलिए कृपया यहां बने रहें और अधिक अनौपचारिक बातचीत जारी रखें।

मैं इस अद्भुत शाम का साक्ष्य बनना चाहता हूं।

में सोचता हूँ हम सभी जानते हैं कि प्रौद्योगिकी क्या है, लेकिन मुझे पता है कि इसे परिभाषित करना कितना मुश्किल है I यहाँ दो परिभाषाएं हो सकती हैं - इनमें से एक है उपायों के बारे में:

  • वह प्रक्रिया जिसमें वस्तुओं अथवा सेवाओं को तैयार के लिए तकनीक, कौशल, विधियों का प्रयोग हो प्रौद्योगिकी है।

दूसरा परिणाम के विषय में है:

  • वैज्ञानिक ज्ञान से विकसित किए गए मशीनों और उपकरणों को प्रौद्योगिकी कहते हैं।

मेरे विचार से प्रौद्योगिकी माध्यमों और परिणामों का एक मिश्रण है लेकिन मानव जाति के इस निर्माण और उपयोग से ही इसका अस्तित्व है। यह दोनों है मशीन भी और उन मशीनों के भीतर स्थापित प्रणालियां भी, जो अक्सर सूक्ष्म रूप में या माइक्रो-प्रोसेसर के रूप में उपस्थित रहती हैं, जिन्हें उन व्यक्तियों द्वारा संचालित किया जाता है जिन्हें यह ज्ञान नहीं रहता कि मशीन का प्रौद्योगिकी का संचालन कैसे होता है।

लेकिन यह विषय केवल मशीन का नहीं है। प्रौद्योगिकी है-या यह हमें अनुमति देती है-जैविक सामग्रियां उगाने में, पदार्थों से सामग्रियों पर आवरण चढाने में, एकल कोशिका का घनत्व जानने में, कणॉं में हेरफेर करने में। इसे बायो-टेक, नैनो-टेक, ई-टेक, आइ-टेक जैसे अनेक उपसर्ग दिए जा सकते हैं।

आज के आयोजन की तैयारी में सहायता प्राप्त करने के लिए मैंने पिछले सप्ताह खड़गपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान का दौरा किया और वहां के वरिष्ठ नेतृत्व में आसीन लोगों से बातचीत की। मुझे इस बात का हर्ष है कि इस संस्थान के निदेशक प्रोफेसर पार्थ चक्रवर्ती टेक समिट में बोलने के लिए प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकीविदों में से एक होंगे और डॉ. भट्टाचार्य आज इस शाम यहां हमारे बीच उपस्थित हैं।

मुझे ब्रिटेन के शोध एवं उच्च शिक्षा के संस्थानों से उनके सहयोग और साझेदारी के विषय में जानकर काफी प्रसन्नता हुई। हमने जिन विषयों पर चर्चा की उनमें शामिल है कि कैसे प्रौद्योगिकी के जरिए विश्व के समक्ष प्रमुख चुनौतियां जैसे स्वच्छ जल, जलवायु परिवर्तन, शहरों में भीड़भाड़ आदि से निपटा जा सकता है। लेकिन इस पहलू पर भी चर्चा की गई कि कैसे नई प्रौद्योगिकी रोजगार निर्माण की राह में एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है, जो कि दुनिया भर की कई सरकारों के समक्ष एक बड़ी चुनौती बन गई है।

चर्चा करते वक्त, प्रोफेसर चक्रवर्ती ने यह जाना कि शायद इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए हमारे पास पहले से ही प्रौद्योगिकी उपलब्ध हो, और हमें केवल उसका ज्ञान नहीं है। जैसे कि इन चुनौतियों से निपटने के समाधान काफी सस्ते हों अगर हम उन्हें इस्तेमाल करने के लिए इच्छित हों। उदाहरण के तौर पर, प्लास्टिक पर हमारी निर्भरता-जिसका कचरा दुनिया भर के महासागरों तक फैल रहा है-को कम किया जा सकता है अगर हम पैकेजिंग की सामग्री के तौर पर जूट का उपयोग करें।

आपमें से कुछ लोगों को यह पता होगा कि इस वर्ष के टेक समिट में ब्रिटेन के सहयोगी राष्ट्र के होने की घोषणा उस वक्त की गई थी जब पिछले साल नवम्बर में भारतीय प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन की यात्रा की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने यह ध्यान दिया कि ब्रिटेन और भारत का एक अपराजेय संयोजन है। टेक समिट ब्रिटेन और भारत की सर्वोत्कृष्ट प्रौद्योगिकी को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है और साथ ही प्रमुख प्रौद्योगिकीविदों, उद्यमियों, व्यापार जगत के लोगों और सरकारी अधिकारियों को परस्पर मिलकर नई साझेदारियों की संभावनाएं तलाशने का भी अवसर देता है।

अब मैं इस टेक समिट में शामिल होने वाले लोगों की जिज्ञासा को खत्म नहीं करना चाहता हूं। आप वेबसाइट के जरिए देख सकते हैं कि हमारे पास आपके लिए क्या खजाना है। मैं चाहता हूं कि पैनल निम्नलिख्त विषयों पर चर्चा करें:

  • कोलकाता, पश्चिक्म बंगाल और शेष पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत के विकास के लिए किन प्रमुख प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता है
  • आपके विचार से किन क्षेत्रों में ब्रिटेन समाधान प्रदान कर सकता है?
  • प्रौद्योगिकी के बेहतर उपयोग के लिए व्यापारिक जगत, शोध संस्थान और अन्य क्या अतिरिक्त कदम उठा सकते हैं?

बल्कि उन मुक्त प्रश्नों को रखने के बाद, मुझे यह एहसास हुआ कि हम घंटों तक चर्चा कर सकते हैं। हमें अपने चर्चा के दायरे को सीमित कर कुछ विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। ये निस्संदेश वही क्षेत्र हैं जिनपर हम टेक समिट आयोजन में ध्यान दे रहें हैं और जिनके लिए आज रात्रि यहां विशेषज्ञ उपस्थित है।

वे क्षेत्र हैं:

  • उन्नत विनिर्माण
  • स्मार्ट शहर
  • स्वास्थ्यसेवा और जीव विज्ञान
  • सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आइसीटी) का उपयोग

हमारे द्वारा प्रौद्योगिकी का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान में हमारे प्रयास के स्तर पर भी निर्भर करता है। इसलिए अंतिम विषय के चलते मैं भारत के इस भाग के लिए शोध की आवश्यकता के विषय में भी जानना चाहता हूं।

धन्यवाद।

Updates to this page

प्रकाशित 21 October 2016