प्रेस विज्ञप्ति

यूके और भारत की सरकारों के बीच साझा बयान

प्रधानमंत्री थेरेसा मे तथा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भारत-यूके के रणनैतिक साझेदारी के लिए एक जबर्दस्त विजन प्रस्तुत किया।

यह 2016 to 2019 May Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था

प्रधानमंत्री सुश्री थेरेसा मे भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आमंत्रण पर 6-8 नवम्बर 2016 के दौरान भारत की यात्रा पर हैं। यूके के प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद से यह यूरोप के बाहर की उनकी पहली यात्रा है। माना जाता है कि इस यात्रा से भारत-यूके के रणनैतिक साझेदारी में और मजबूती आएगी, जो भविष्य के लिए एक साझे विजन से और द्विपक्षीय तथा वैश्विक भागीदारी के ठोस और विशद रोडमैप से प्रेरित है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने प्रधानमंत्री सुश्री मे का स्वागत किया तथा भारत-यूके के संबंधों के सभी आयामों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच मौजूद मित्रता के सुदृढ़ बंधन का जिक्र किया, जो गहन राजनैतिक भागीदारी, गहन आर्थिक सहयोग तथा कभी न खत्म होने वाला वैज्ञानिक व तकनीकी सहयोग से परिलक्षित होता है।

दोनों देश अपने-अपने लोगों के बीच के शानदार रिश्ते की धरोहर को संभालते हैं जहां यूके में भारतीय मूल के लगभग 1.5 मिलियन लोग रहते हैं और ये दोनों 21वीं सदी की मुख्य वैश्विक चुनौतियों पर साझा विचार रखते हैं। हमारा साझा इतिहास, हमारे साझा जुड़ाव तथा हमारे साझा मूल्य इसे एक स्वाभाविक साझेदारी का रूप देते हैं। उन्होंने एक अनूठी मित्रता का आधार निर्मित किया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने एक समकालीन और अग्रगामी वैश्विक सहयोग के ऊपर काम करने पर बल दिया ताकि दोनों देशों में शांति, सुरक्षा तथा समृद्धि लाई जा सके और दुनिया में बेहतर कार्यों की एक ताकत के रूप में काम किया जा सके। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री श्री मोदी की यूके यात्रा के दौरान दोनों देशों ने भारत-यूके की रणनैतिक साझेदारी के लिए एक जबर्दस्त विजन प्रस्तुत किया। दोनों देश आज नजदीकी, व्यावहारिक सहयोग के जरिए इस विजन को मूर्त रूप देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो दोनों देशों के लिए वास्तव में लाभकारी होगा।

हम एक-दूसरे की समृद्धि में, रोजगार के सृजन में, कौशलों के विकास में तथा अपने दोनों देशों की प्रतियोगिता को बढ़ाने के लिए तथा हम दोनों के लिए नए बाजार खोलने की दिशा में एक साझी भागीदारी निभा रहे हैं। यूके का वित्त और इसके विश्व-अग्रणी सेवा सेक्टरों से विशेषज्ञता से इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, आगामी स्मार्ट सिटी, धारणीय ऊर्जा, अनुसंधान व कौशलों जैसे प्रमुख भारतीय प्राथमिकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।

उसी प्रकार, भारतीय निवेश तथा व्यवसाय क्षमताओं व विशेष योग्यताओं से यूके के विकास तथा अर्थव्यवस्था में मूल्यवान योगदान मिल रहा है। और हम अपने व्यापार तथा निवेश संबंध को और अधिक गहरा बनाने, हमारी सरकारों और व्यवसाय समुदायों के बीच ऊर्जावान व प्रभावी सहयोग स्थापित करने तथा ईयू से यूके के बाहर निकलने के बाद नजदीकी सहयोग हेतु अवसरों का दोहन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

यूके यूएन सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का पहला पी5 देश है, जो हमारे समान मूल्यों को समझता है और एक स्थायी, नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को मानता है। हम आगे भी 2015 के डिफेंस तथा अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग को जारी रखेंगे ताकि हमारे बीच के सहयोग को और गहरा किया जा सके जिसमें आतंकवाद निरोधी प्रयास, रैडिकलवाद, हिंसक चरमपंथ तथा साइबर सुरक्षा।

हम सुरक्षा तथा रक्षा के क्षेत्र में संयुक्त रूप से कार्य करेंगे जो साथ मिलकर डिजाइन, मेक, अभ्यास, प्रशिक्षण तथा सहयोग को आगे बढ़ाएगा। और हम आगे भी एक अधिक सुरक्षित दुनिया के अपने साझे उद्देश्य की तलाश में कई सारी वैश्विक नीति सुरक्षा चुनौतियों पर सलाह का आदान-प्रदान और समंवय करेंगे।

साथ मिलकर विकास, व्यापार तथा कारोबार को बढ़ावा देना

दोनों प्रधानमंत्रियों ने यूके-भारत व्यापार रिश्ते की अहमियत का जिक्र किया और इस बात का स्वागत किया कि भारत तथा यूके के बीच कारोबार से कारोबार के बीच का जुड़ाव और फल-फूल रहा है।

उन्होंने उल्लेख किया कि भारत यूके का तीसरा सबसे बड़ा निवेशक था और दूसरा सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय रोजगार निर्माता, जहां यूके में भारतीय कंपनियों ने 110,000 से अधिक नौकरियों का सृजन किया। यूके भारत में जी20 का सबसे बड़ा निवेशक है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय वित्तीय सहयोग के स्तर पर अपनी प्रसन्नता जताई तथा भारतीय तथा यूके के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में दोनों ओर के निवेशक समुदायों की गहरी भागीदारी का आह्वान किया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने कई सारे क्षेत्रों में इस यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में संपन्न किए गए वाणिज्यिक सौदों का स्वागत किया: इन क्षेत्रों में शामिल हैं आइसीटी कंपनियां, क्रीटिकल इंजीनियरिंग तथा हेल्थकेयर उत्पाद।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने सरकार तथा कारोबारी के साथ मिलकर का करने की अहमियत की भी चर्चा की। उन्होंने इंडिया-यूके, सीईओ फोरम द्वारा दी गई सलाहों का स्वागत किया, जिनसे इस यात्रा में अल्प समय के लिए मुलाकात हुई। उन्होंने सहमति जताई कि दोनों सरकारें और सीईओ फोरम साथ मिलकर इस बात की समीक्षा करे कि यह फोरम सरकारी संवादों के साथ-साथ कैसे एक उन्नत आर्थिक तथा व्यापारिक संबंध को बढ़ावा दे सकता है।

उन्होंने इस बात को लेकर भी सहमति जताई कि वे हरसंभव नजदीकी व्यापारिक तथा आर्थिक संबंध के निर्माण को अपनी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखेंगे। इसके दिशा में, नवीन रूप से स्थापित संयुक्त वर्किंग ग्रुप, जो जेईटीसीओ को सूचित करता है, हमारे व्यापार संबंध के विवरण पर चर्चा करेगा तथा प्रगति हासिल करने में मदद करेगा।

भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए वित्त प्रदान करना

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारतीय इंफ्रास्ट्रचर में वित्तीय निवेश की दिशा में यूके तथा भारत के बीच गहराते सहयोग को और तेज करने को लेकर सहमति जताई। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने प्रधानमंत्री सुश्री मे के सामने मेक इंन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किलिंडिया तथा स्मार्ट सिटीज समेत भारत के अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों के अपार अवसरों की चर्चा की, जिनमें भारत के विकास यात्रा में यूके की कंपनियों को निवेश तथा सहयोग करने के मौके दिये गए हैं।

जुलाई 2016 से अपनी स्थापना के काल से अबतक लगभग लंदन में $1.1 बिलियन (INR 7,500 करोड़ या £900 मिलियन) रुपी-नामांकित बॉण्ड्स जारी किए गए हैं, और इससे लंदन ऑफशोर रुपी वित्त के लिए अग्रणी वैश्विक केंद्र के रूप से स्थापित हो गया है।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने HDFC (INR 3,000 करोड़ या £366 मिलियन) तथा NTPC (INR 2,000 करोड़ या £244 मिलियन) द्वारा जारी किए अग्रणी तथा काफी सफल बॉण्ड की सराहना की, जिससे लंदन में भारतीय कॉरपोरेट्स को अच्छी-खासी मात्रा में वित्त उगाही करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने ब्रिटिश कोलम्बिया के कनाडाई प्रांत द्वारा लंदन में नवीनतम निर्गमन की चर्चा की, जो रुपी-नामित बॉन्ड्स जारी करने वाला पहला विदेशी उप-राष्ट्रीय निकाय है।

उन्होंने भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण [एनएचएआइ] तथा भारतीय रेलवे वित्त निगम [आइआरएफसी] द्वारा अलगे कुछ महीनों में रुपी-नामिल बॉण्डों को जानी करने की इच्छा का स्वागत किया। उन्होंने एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड तथा भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी जैसे अन्य भारतीय प्रतिष्ठानों द्वारा ग्रीन बॉण्ड जारी करने की तैयारी का भी समर्थन किया जिसमें आने वाले हफ्ते में रुपी-नामित बॉण्ड भी शामिल हैं।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने एफटीएसई-एसबीआइ इंडिया बॉण्ड्स इंडेक्स सीरीज के निर्माण के समझौते का भी स्वागत किया, जिससे भारत के बढ़ते कॉरपोरेट बॉण्ड बाजार के विकास को बढ़ावा मिलेगा। इसके बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) तथा लंदन स्टॉक एक्सचेंज ग्रुप’स इंडेक्स बिजनेस एफटीएसई रसेल के बीच सफल सहयोग को मूर्त रूप दिया गया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने राष्ट्रीय निवेश तथा इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एनआइआइएफ) के तहत एक भारत-यूके सब-फंड की स्थापना के लिए हुई प्रगति पर संतोष जताया। यह फंड लंदन शहर से एनआइआइएफ के तले भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को वित्त प्रदान करने के लिए निजी सेक्टर के निवेश को बढ़ावा देगा। यह उम्मीद की जाती है कि आरंभ में यह £500 बिलियन की उगाही करेगा और भविष्य में इसके पास अधिक निवेश प्रवाह पैदा करने की क्षमता है।

दोनों सरकारें भारत-यूके सब-फंड में £120 मिलियन तक के निवेश को हासिल करने की तैयारी करेंगी जो एक ऐसी संरचना के लिए सहमत होगा जो निवेश हित को अधिकतम करेगा।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात का स्वागत किया कि आर्थिक व वित्तीय एजेंडे को वित्त मंत्रियों द्वारा और आगे बढ़ाया जाएगा, जब वे 2017 के आरंभ में इकोनॉमिक तथा फाइनेंशियल डायलॉग का संयोजन कर रहे होंगे। उद्योग-प्रेरित भारत-यूके फाइनेंशियल पार्टनरशिप के जरिए दोनों वित्तीय सेवा क्षेत्रों के बीच सफल सहयोग का उन्होंने स्वागत किया। आइयूकेईपी इकोनॉमिक तथा फाइनेंशियल डायलॉग के साथ पुनः मिलेंगे।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत में सीडीसी ग्रुप तथा यूके के डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टिट्यूशन के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने भारत में सीडीसी के बढ़ते निवेश पोर्टफोलियों का जिक्र किया। भारत आगे भी सीडीसी की निवेश रणनीति पर प्रमुखता से ध्यान देगा।

स्मार्ट सिटीज तथा शहरी विकास

दोनों प्रधानमंत्रियों ने नवम्बर 2015 को लंदन में मंजूर किए 3 शहरों के लिए सहयोग का उल्लेख किया और इस दिशा में हुई प्रगति पर चर्चा की। वे अधिक रणनैतिक तथा महत्वाकांक्षी शहरी भागीदारी पर निर्माण करने की सहमति जताई जो दोनों देशों की सरकारों, कारोबारी, निवेशकों तथा शहरी विशेषज्ञों को अधिक स्मार्ट, अधिक समावेशी शहरों के निर्माण में मदद करेगा जो भारत तथा यूके में समृद्धि, रोजगार तथा विकास को बढ़ावा देगा।

दोनों पक्ष अपने सहयोग में तेजी लाएगा ताकि निवेशको बढ़ाया जा सके, अवसरों की पहचान की जा सके तथा प्रगति में तेजी लाई जा सके। सीडीसी, एनआइआइएफ तथा यूके एक्सपोर्ट फाइनेंस जैसे माध्यमों के जरिए किए मूल निवेश से वित्तीय बाजारों से उच्च वित्त प्राप्त होता है- जिसमें लंदन स्टॉक एक्सचेंज में लोकप्रिय रूप से चलने वाला रुपी बॉण्ड्स भी शामिल है। साझेदारी के हिस्से के रूप , दोनों प्रधानमंत्रियों ने वाराणसी स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट प्लांके तहत वाराणसी रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास के लिए नवीन तकनीकी सहायता का स्वागत किया।

स्टार्ट-अप इंडिया

प्रधानमंत्री सुश्री मे ने घोषणा की कि यूके लगभग £160 मिलियन का निवेश कर रहा है जो 75 स्टार्ट-अप उपक्रमों में किया जा रहा है जो भारत के कई राज्यों में नौकरियों का अवसर पैदा करेगा तथा अहम सेवाओं की आपूर्ति करेगा। उन्होंने एक स्टार्ट-अप इंडिया वेंचर कैपिटल फंड के लिए अतिरिक्त £20 मिलियन की घोषणा की। इस फंड से 30 उपक्रमों को बढ़ावा मिलेगा और अन्य निवेशकों से अतिरिक्त £40 मिलियन की पूंजी प्राप्त होगी, जिसमें यूके वेंचर कैपिटल फंड्स भी शामिल है।

कारोबार की सुगमता

प्रधानमंत्री सुश्री मे ने भारत द्वारा कारोबार करने की सुगमता में की गई प्रगति और भारतीय संसद में वस्तु व सेवा कर विधेयक पारित किए जाने की सराहना की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने यूके तथा भारत के बीच ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के ऊपर एक एमओयू साइन करने का स्वागत किया, जो वर्ल्ड बैंक ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रेटिंग्स को बढ़ाने की दिशा में भारत के प्रयास में यूके की विशेषज्ञता का लाभ उठाएगा।

बौद्धिक संपदा

दोनों प्रधानमंत्रियों बौद्धिक संपदा के ऊपर एक एमओयू साइन करने का स्वागत किया, जो दोनों देशों में नवाचार, रचनात्मकता तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।

ऊर्जा व जलवायु परिवर्तन

सुरक्षित, किफायती तथा धारणीय ऊर्जा के साझी रणनैतिक प्राथमिकता पर द्विपक्षीय सहयोग के अगले चरण को आगे बढ़ाने के लिए, दोनों प्रधानमंत्रियों ने विकास साझेदारी के लिए एक उन्नत यूके-इंडिया ऊर्जा का जिक्र किया और 2017 के आरंभ में प्रथम इंडिया-यूके एनर्जी समिट के आयोजन के प्रस्ताव का स्वागत किया।

उन्होंने हमारे संयुक्त यूके-इंडिया सिविल न्युक्लीयर रिसर्च प्रोग्राम के चौथे चरण का स्वागत किया, जो ऐसी नई तकनीकियों का इस्तेमाल करेगा जो न्युक्लीयर सुरक्षा तथा न्युक्लीयर सिस्टम्स से उन्नत सामग्रियों, अपशिष्ट प्रबंधन, तथा आगामी सिविल न्युक्लीयर एनर्जी सिस्टम्स में योगदान देगा।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने रेखांकित किया कि जलवायु परिवर्तन से निपटना एक साझा उद्देश्य है। उन्होंने भारत समेत कई सारे देशों द्वारा पेरिस समझौते के अनुसमर्थन का भी स्वागत किया, जिससे 4 नवम्बर 2016 को यह समझौता प्रभावी हो जाएगा और साथ ही दोनों देशों ने इसके कार्यांवयन की दिशा में भी काम करने का प्रण लिया।

प्रधानमंत्री सुश्री मे ने इंटरनेशनल सोलर अलाएंस पर भारत के नेतृत्व की भी सराहना की, जो दुनिया भर में ऊर्जा की मांग की पूर्ति के लिए सौर ऊर्जा के दोहन की दिशा में काम करता है और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंताओं से निपटता है। उन्होंने इस गठबंधन में यूके के शामिल होने की इच्छा का भी संकेत किया और कहा कि यूके फ्रेमवर्क अग्रीमेंट में चर्चा में आगे भी भागे लेता रहेगा। दोनों नेताओं ने 15 नवम्बर 2016 को मारकेश में होने वाले सीओपी 22 में इंटरनेशनल सोलर अलाएंस के लिए संभावनाशील सदस्य देशों से अपना समर्थन देने का आह्वान किया।

एक वैश्विक साझेदारी

युनाइटेड किंगडम तथा भारत लोकतांत्रिक मूल्यों, अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा तथा राष्ट्रीय व अंतर्राषीय समृद्धि को लेकर साझी प्रतिबद्धता रखते हैं। दोनों प्रधानमंत्रियों ने पिछ्ले 70 वर्षों में हुए परिवर्तनकामी बदलाओं के आलोक में अपने आप को अनुकूलित करने तथा नवीनीकृत करने के लिए नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय सिस्टम की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री सुश्री मे ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के लिए स्थायी सदस्यता का समर्थन किया साथ ही उन्होंने भारत के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर एक उन्नत भूमिका निभाने की इच्छा जताई।

एक अग्रणी शक्ति के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा की दिशा में इसके योगदान के मद्देनजर युनाइटेड किंगडम आगे भी सुरक्षा परिषद में भारत ई सदस्यता के लिए सहयोग करता रहेगा। इस दिशा में नेताओं ने अपने-अपने संबद्ध अधिकारियों को संयुक्त राष्ट्र से जुड़े सभी मामलों पर, जिसमें यूएन आतंकवाद सुझाव भी शामिल है, गहन तथा नियमित राय-परामर्श करने का निर्देश दिया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय शांति बहाली के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई, जहां भारत दूसरा सबसे बड़ा सेना प्रदाता देश है और यूके दुनिया का छठा सबसे बड़ा बजट प्रदाता है।

उन्होंने जी20 के भीतर और भी अधिक निकटता से तालमेल बनाने के लिए प्रतिबद्ध जताई तथा लोकतंत्र तथा मूल आजादियों को आगे बढ़ाने में कॉमनवेल्थ द्वारा निभाई गई सकारात्मक भूमिका का स्वागत किया। भारत तथा युनाइटेड किंगडम ने नाभिकीय निशस्त्रीकरण तथा अप्रसार को आगे बढ़ाने में अपने प्रबल व साझे हित का उल्लेख किया।

यूके ने भारत के मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोम रेजीम (एमटीसीआर) में शामिल होने का स्वागत किया जो वैश्विक अप्रसार उद्देश्यों को प्रबल बनाएगा तथा यूके न्युक्लीयर सप्लाइ ग्रुप (एनएसजी) के लिए तथा अन्य अहम एक्सपोर्ट कंट्रोल रेजीम्स के लिए भारतीय सदस्यता का वकालत करता रहेगा।

नवम्बर 2015 में इंटेट ऑन पार्टनर्शिप फॉर कोऑपरेशन इन थर्ड कंट्रीज के वक्तव्य के बाद दोनों प्रधानमंत्रियों ने अफ्रीका पर एक विशेष ध्यान देते हुए अपनी साझेदारी निभाने की सहमति जताई। दोनों पक्षों ने अपने अनुभवों तथा विकास सहयोग प्रदान करने में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की सहमति जताई।

आतंकवाद से मुकाबला तथा वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों पर प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री सुश्री मे ने उरी में भारतीय सेना के ब्रिगेड मुख्यालय में आतंकवादी हमले की निंदा की और पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए सांत्वना के शब्द कहे।

दोनों नेताओं ने मजबूती से कहा कि आतंकवाद मानवता के लिए एक गंभीर खतरा है। उन्होंने हर प्रकार तथा हर स्वरूप के आतंकवाद से मुकाबला करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर डाला, और इस बात पर बल दिया कि किसी भी आधार पर आतंक के कारनामों पर कोई सफाई नहीं दी सकती है- और उन्होंने आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता पर सहमति जताई।

भारत तथा युनाइटेड किंगडम दोनों ही आतंकवाद के शिकार रहे हैं और अब वे आतंकवाद तथा हिंसक चरमपंथ से मुकाबला करने के लिए सहयोग करते हुए काम करते हैं। हमारे दोनों देश आतंकवाद की बढ़ती चुनौतियों को समझते हैं जिसके लिए द्विपक्षीय के साथ बहुपक्षीय सहयोग की आवश्यकता है।

आतंकवाद से मुकाबला करने की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का मुख्य प्रयास है आतंकवादियों को रैडिकलाइज करने, भर्ती करने तथा हमले करने से सफल रूप से रोकना। दोनों नेताओं ने मौजूदा द्विपक्षीय आतंकवाद निरोधी सहयोग का स्वागत किया तथा दोनों पक्षों के बीच सूचना के और अधिक आदान-प्रदान का आह्वान किया।

दोनों देशों ने इंटरनेट के इस्तेमाल से हिंसक चरमपंथ से उपजे खतरे को कम करने के लिए एक-दूसरे के साथ काम करने के लिए सहयोग करने की सहमति जताई, जिसमें ऑनलाइन रैडिकलाइजेशन तथा भर्ती प्रयासों को कम करने के सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करना भी शामिल है।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर बल डाला कि आतंकवाद के खिलाफ मुकाबला न केवल उन्हें बाधित करने और आतंकवादियों, आतंकी संगठनों तथा नेटवर्कों को सजा दिलाने तक ही सीमित होना चाहिए, बल्कि उन सभी की पहचान करनी चाहिए, उन्हें जिम्मेदार मानना चाहिए और उनके खिलाफ कठोर कदम उठाना चाहिए जो आतंकवाद को प्रोत्साहन देते हैं, उसका समर्थन करते हैं और आतंकवाद को वित्त मुहैय्या कराते हैं, आतंकियों तथा उनके समूहों को पनाहगार मुहैय्या कराते हैं और उनकी झूठी तारीफ करते हैं।

आतंकवादियों का कोई महिमामंडन नहीं होना चाहिए या अच्छे और बुरे आतंकवाद के बीच किसी प्रकार का फर्क करने का प्रयास नहीं होना चाहिए। उन्होंने सहमति जताई कि दक्षिण एशिया को स्थिर, समृद्ध तथा आतंक मुक्त क्षेत्र बनना चाहिए और उन्होंने सभी देशों इस इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम करने का आह्वान किया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने माना कि आतंकवाद तथा हिंसक चरमपंथ अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा के लिए एक सबसे गंभीर खतरा है और इस दिशा में उन्होंने बिना भेदभाव किए एकजुट होकर वैश्विक कदम उठाने का आह्वान किया। दोनों देशों ने आतंकवाद, हिंसक चरमपंथ तथा रैडिकलाइजेशन से मुकाबला करने तथा उनके फैलाव को रोकने के लिए तुरंत उपाय करने का आह्वान किया।

दोनों नेताओं ने न्यूयॉर्क में ग्लोबल कॉउंटेरिंग टेररिज्म फोरम में लॉन्च किए ‘प्रिवेंटिंग वायलेंट एक्स्ट्रीमिज्म’ पर हाल ही में यूके-प्रेरित संयुक्त बयान का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय काउंटर टेररिज्म लीगल फ्रेमवर्क को मजबूत बनाने का भी आह्वान किया, जिसके लिए कम्प्रीहेंसिव कंवेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म को अपनाने पर जोर डाला गया। दोनों नेताओं ने पाकिस्तान से मुम्बई में नवम्बर 2008 तथा 2016 में पठानकोठ आतंकी हमले के दोषियों को सजा दिलाने का आह्वान किया।

रक्षा साझेदारी में विस्तार

नवम्बर 2015 में डिफेंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी पार्टनरशिप (डीआइएसपी) के अनुरूप चलते हुए यूके तथा भारत रक्षा क्षेत्र में अपने रणनैतिक सहयोग को और मजबूत बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने ‘मेक इन इंडिया’ फ्रेमवर्क में यूके तथा भारतीय कंपनियों के बीच रक्षा विनिर्माण में सहयोग की संभावना का जिक्र किया और ऐसे सहयोग को प्रोत्साहित करने तथा सुगम बनाने की स्वीकृति जताई। यूके भारतीय एमओडी तथा भारतीय रक्षा कंपनियों के साथ अपनी भागीदारी आगे भी जारी रखेगा ताकि निर्यात नियंत्रण को सरल और शीघ्रता से आगे बढ़ाया जा सके और साथ पारस्परिक हित के क्षेत्रों में परियोजनाओं को तकनीकी के हस्तांतरण में मदद की जा सके।

उदाहरण के रूप में एचएएल तथा बीएई सिस्ट्म्स के बीच हॉक ऐडवांस्ड जेट ट्रेनर्स का भारत में उत्पादन करने के लिए हुए सहयोग का जिक्र करते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में संयुक्त रूप से उत्पादों तथा सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए आविष्कारी तरीकों को अपनाने की सहमति जताई।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने डिफेंस कंसल्टेटिव ग्रुप (डीसीजी) को 15-16 नवम्बर 2016 को द्विपक्षीय रक्षा सहयोग एजेंडे को आगे बढ़ाने का कार्य सौंपा, जिसमें सैन्य सहयोग, प्रशिक्षण तथा विषयवस्तु के आदान-प्रदान, अनुसंधान तथा तकनीकी लिंकेज और साथ ही रक्षा विनिर्माण समेत कई अन्य गतिविधियों के जरिए क्षमता सहयोग हेतु यूके के प्रस्ताव भी शामिल हैं।

साइबर सहयोग

यूके तथा भारत एक मुक्त, खुला, शांतिपूर्ण तथा सुरक्षित साइबर स्पेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यूके तथा भारत इंटरनेट गवर्नेंस के बहु-साझेदार मॉडल को समर्थन देने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे। यूके प्रधानमंत्री श्री मोदी के डिजिटल इंडिया का पूर्ण समर्थन करता है। बढ़ता हुआ भारत-यूके साइबर संबंध रक्षा तथा अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग (डीआइएसपी) का एक सफल गाथा है।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने यूके-भारत साइबर संबध के लिए एक फ्रेमवर्क में प्रवेश करने की अपनी इच्छा की घोषणा की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में हुई प्रगति पर भी संतोष प्रकट किया, जिसमें साइबर अपराध के साझे खतरे से निपटने के लिए नियमित सहयोग तथा मार्च 2015 में संबंधित कम्प्यूटर सिक्योरिटी इंसिडेंट रेस्पॉन्स टीम्स के बीच एक एमओयू का साइन किया जाना शामिल है।

समुद्रों की आजादी

दोनों देशों ने 1982 यूएस कंवेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी (यूएनसीएलओएस) के आधार पर समुद्रों तथा महासागरों के लिए कानूनी व्यवस्था बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने यूएनसीएलओएस में वर्णित अंतर्राष्ट्रीय कानून के वैश्विक रूप से मान्य सिद्धांतों के आधार पर नेविगेशन तथा ओवरफ्लाइट की आजादी के लिए अपनी प्रतिबद्धता तथा सम्मान का जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि सभी संबद्ध क्षेत्रीय तथा न्यायाधिकार से जुड़े विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से बिना किसी को धमकाए या बल के प्रयोग के बिना निपटाया जाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रों से अपील की कि वे यूएनसीएलओएस का सम्मान करें तथा ऐसी हरकतों से दूर रहें जो शांति, सुव्यवस्था तथा महासागरों की सुरक्षा बाधित करे।

अंतर्राष्ट्रीय मामले

दोनों प्रधानमंत्रियों ने एक वैश्विक प्लेयर के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया। इस संदर्भ में उन्होंने दक्षिण एशिया क्षेत्र में शांति व स्थिरता बनाए रखने में भारत के रचनात्मक योगदान का जिक्र किया, जिसमें अफगानिस्तान में इसके द्वारा द्वारा किया जाने वाला महंगा विकास सहयोग भी शामिल है।

इस संदर्भ में, उन्होंने अफगानिस्तान में लगातार मौजूद आतंकवाद के खतरे से मुकाबला करने के लिए अफगान सुरक्षा बलों के प्रयासों का भी समर्थन किया तथा अफगानिस्तान की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में उनके प्रयासों की दिल से सराहना की। इस बात के मद्देनजर कि एक सुरक्षित व स्थिर अफगानिस्तान इस क्षेत्र की शांति तथा समृद्धि में योगदान देगा, उन्होंने इस बात को लेकर सहमति जताई कि अफगानिस्तान की राजनैतिक व्यवस्था अफगानियों द्वारा ही होनी चाहिए और यह तभी सफल होगा जब तालीबान विद्रोही हिंसा छोड़ेंगे और लोकतांत्रिक कायदों का पालन करेंगे।

उन्होंने ब्रसेल्स कंफ्रेंस में यूके, भारत तथा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा अफगानिस्तान को सहायता दिए जाने के आश्वासन का भी स्वागत किया और साथ मिलकर अफगान सरकार को उसके महत्वाकांक्षी सुधार कार्यक्रम को पूरा करने में मदद की सहमति जताई। यूके की ओर से 4 दिसम्बर 2016 को अमृतसर में सिक्स्थ मिनिस्टीरियल मीटिंग ऑफ द हार्ट ऑफ एशिया इस्तांबुल प्रॉसेस ऑन अफगानिस्तान के लिए भारत को सहयोग देने का भरोसा दिया गया।

दोनों देशों ने मालदीव्स के साथ उसके लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत बनाने में आगे भी अपनी भागीदारी निभाने की सहमति जताई।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने यूएन ह्युमैन राइट्स काउंसिल रिजॉल्यूशन 30/1 के अनुरूप श्री लंका द्वारा की गई प्रगति का उल्लेख किया और यह माना कि और अधिक किए जाने की जरूरत है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए आगे भी श्रीलंका सरकार के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्ध जताई।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने इराक के लोगों तथा उसके सरकार को आतंकवाद के खिलाफ उनकी लड़ाई में अपनी सहायता का भरोसा दिया तथा मोसुल को तथा अन्य शहरों को आईएसआईएस के कब्जे से मुक्त कराने में इराकी सेना के ऑपरेशन का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने इराक में राष्ट्रीय सामझौते तथा एकता के महत्व पर बल डाला और भरोसा जताया कि अंतर्राष्ट्रीय सपोर्ट के साथ इराक आतंकवाद को हराने में सफल होगा और अपनी चुनौतियों से मुकाबला कर पाने में सक्षम होगा।

प्रत्यर्पण, वापसी तथा आवागमन

दोनों प्रधानमंत्रियों ने म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी के तहत सहयोग बढ़ाने को लेकर अपनी प्रबल प्रतिबद्धता जताई। दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि भगौड़ों तथा अपराधियों को कानून से भागने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने दोनों ओर से प्रबल प्रत्यर्पण अनुरोधों को सुगम बनाने के लिए अपनी गहरी सहमति जताई।

इस संदर्भ में दोनों पक्षों की ओर से प्रत्यर्पण मामलों पर काम करने वाले अधिकारियों को हरेक देश की कानूनी प्रक्रियाओं तथा आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से समझने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने तथा विलम्बों के कारणों की पहचान करने तथा लंबित अनुरोधों को शीघ्रता पूर्वक निपटाने के लिए जल्द से जल्द आपस में बैठक करनी चाहिए। उन्होंने इस बात को लेकर भी अपनी सहमति जताई कि भारत-यूके के संबद्ध पदाधिकारियों के बीच की नियमित बातचीत सभी अहम मामलों को तेजी से निपटाने में कारगर साबित होगी।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने ब्रिटिश समाज में 1.5 मिलियन भारतीय मूल के प्रवासियों के मूल्यवान योगदानों को तथा द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने में उनकी भूमिका को माना। उन्होंने माना कि आवागमन से दोनों देशों के बीच के लोगों के बीच के आपसी संबंध मजबूत हो सकते हैं। इस दिशा में, दोनों पक्षों ने सहमति जताई कि छात्रों, कारोबारियों, पेशेवरों, राजनयिकों तथा अधिकारियों तथा अन्य यात्रियों के लिए वीजा की प्रक्रिया सरल और हर संभव रूप से प्रभावी बनाई जानी चाहिए, जिसमें दोनों देशों के बीच कुशल कर्मचारियों के अल्पकालिक आवागमन को सुगम बना भी शामिल है।

दोनों नेताओं ने जिक्र किया कि यूके भारतीय छात्रों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बना रहेगा तथा ये छात्र द्विपक्षीय भागीदारी के सभी क्षेत्रों में भारत-यूके की साझेदारी को और मजबूत बनाते हैं। प्रधानमंत्री सुश्री मे ने माना कि यूके के मान्यताप्राप्त शिक्षण संस्थानों में अंतराष्ट्रीय छात्रों की कुल संख्या पर कोई सीमा नहीं है, इसलिए भारतीय छात्र का आगे भी स्वागत किया जाता रहेगा और इस दिशा में यूके के विदेश मंत्री ने हाल ही में सुश्री मे द्वारा यूके के लिए छात्र वीजा प्रक्रिया में बदलाव की घोषणा की जा चुकी थी।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सुश्री मे की इस घोषणा का स्वागत किया कि यूके अपने यहां आने वाले भारतीय यात्रियों के लिए कारोबारी यात्रा से जुड़ी नई सेवाएं उपलब्ध कराएगा। भारत ऐसा पहला देश होगा जिसे रजिस्टर्ड ट्रैवेलर स्कीम प्रदान किया जाएगा, जो यूके की सीमा पर बिजनेस यात्रियों की प्रक्रियाओ को तेजी से पूरा करेगा।

भारत सरकार दुनिया में पहली ऐसी सरकार बनेगी जिसे ग्रेट क्लब के सीनियर बिजनेस एक्जेक्युटिव्स को नामांकित करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। ग्रेट क्लब वीजा तथा इमिग्रेशन सेवा से जुड़ा है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इन बदलावों का स्वागत किया। ये बदलाव इस तथ्य की ओर इशारा करते हैं कि भारत के पास दुनिया के किसी अन्य देशों के मुकाबले यूके की सर्वोत्तम वीजा सेवा होगी, जहां कहीं और की तुलना में अधिक आवेदन स्थान होंगे और यह एकमात्र ऐसा स्थान होगा जहां आपको उसी दिन वीजा मिल सकता है, जो आने वाले निवेश को आकर्षित करने तथा भारत से आने वाले कारोबार को और आगे बढ़ाने के लिए यूके सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने सहमति जताई कि सरल और प्रभावी वीजा प्रणालियों को सुनिश्चित करना सीमा की अखंडता तथा इमीग्रेशन प्रणालियों की रक्षा करने पर आधारित है। इसके लिए संबद्ध राष्ट्रीय कानूनों की आवश्यकता के अनुसार समयबद्ध रूप से तथा प्रभावी तरीके से लोगों को उनले मूल देश को लौट जाना शामिल है। दोनों देशों ने राष्ट्रीयता तथा जारी किए जाने वाले ट्रैवल दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया को लागू कर इस क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने के लिए सहमति जताई।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने होम अफेयर्स मामलों पर एक सीनियर यूके-इंडिया डायलॉग के आरंभ की घोषणा की, जो वर्ष में दो बार संपन्न की जाएगी और इसकी अध्यक्षता स्थायी सचिव/सचिव स्तर द्वारा की जाएगी। दोनों प्रधानमंत्री इस डायलॉग से यह उम्मीद करते हैं कि यह आपसी सरोकार के मुख्य मुद्दों पर प्रगति करेगा, जिसमें वीजा प्रणाली को और सरल बनाने और अधिक दक्ष बनाने के अवसर और सीमा तथा इमीग्रेशन प्रणालियों की अखंडता में सुधार लाना शामिल होंगे।

संस्कृति और शिक्षा का महोत्सव और कौशल संवर्धन

दोनों प्रधानमंत्रियों ने उल्लेख किया कि 2016 इंडिया-यूके का एजुकेशन, रिसर्च और इनोवेशन का वर्ष है और उन्होंने यूके-इंडिया एजुकेशन रिसर्च इनिशिएटिव (यूकेआइईआरआइ) को (£20मिलियन) के और निवेश का स्वागत किया जिससे वर्ष 2017 में 50 नए साझेदारी का निर्माण होगा।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा वित्त प्रदत्त जीआइएएन कार्यक्रम के तहत तथा यूके के भारतीय छात्रों को 40 विश्वविद्यालयों में अध्ययन करने के लिए 198 नए ग्रेट छात्रवृत्तियों के तहत भारत की यात्रा करने वाले पहले 35 यूके फैकल्टीज का स्वागत किया। दोनों ही नेताओं ने जेनरेशन यूके-इंडिया कार्यक्रम के तहत टीसीएस प्रायोजित यूके इंटर्न्स के पहले बैच का स्वागत किया।

दोनों प्रधानमंत्री वर्ष 2017 को भारत-यूके के लिए संस्कृति और गतिविधियों को सहायता देने वाले वर्ष के रूप में उत्सव मनाने के लिए आतुर हैं, उदाहरण के लिए लंदन के साइंस म्यूजियम में भारतीय विज्ञान का प्रदर्शनी तथा शेक्सपीयर के 400 वर्षों का उत्सव कार्यक्रम। दोनों प्रधानमंत्रियों ने यूके तथा भारतीय विश्वविद्यालयों के सहयोग से विकसित इंडियन स्वयम मूक प्लैटफॉर्म के लिए नई शिक्षण सामग्रियों का स्वागत किया।

यूके पुणे में ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए उत्कृष्टता केंद्र के जरिए स्किल इंडिया मिशन को बढ़ावा दे रहा है। प्रधानमंत्री सुश्री मे ने भारत के स्किल इंडिया मिशन को बढ़ावा देने के लिए £12 मिलियन की नई प्रतिबद्धता की घोषणा की। यूके से तकनीकी हस्तांतरण 5 सेक्टरों में अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण मानकों को सुगम बनाएगा जिसमें अप्रेंटिसशिप तथा प्रमाणपत्र शामिल है।

एक बेहतर भविष्य के लिए विज्ञान तथा तकनीकी का दोहन

दोनों प्रधानमंत्रियों ने जिक्र किया कि भारत में विज्ञान तथा तकनीकी कार्यक्रमों में तेज वृद्धि द्विपक्षीय सहयोग के और विस्तार की गहन संभावना प्रदान करता है। भारत-यूके संयुक्त फंडिंग अब £200 मिलियन पर जा पहुंचा है और अर्थव्यवस्थाओं तथा समाजों पर इसका लाभकारी प्रभाव कई गुना बढ़ा है।

उन्होंने £80 मिलियन मूल्य के नए अनुसंधान सहयोग की घोषणा की जिसमें £13 मिलियन के एक संयुक्त निवेश समेत एंटी-माइक्रोबियन रेजिस्टेंस (एएमआर) पर एक नवीन संयुक्त रणनैतिक समूह शामिल है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने माना कि एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) एक वैश्विक चुनौती है तथा उन्होंने इस वर्ष के आरंभ में जी20 तथा यूएनजीए में जताई प्रतिबद्धताओं को भी स्वीकारा।

टेम्स-गंगा पार्टनर्शिप के अनुरूप दोनों प्रधानमंत्रियों ने ज्वाइंट हाइड्रोलॉजिकल रिसर्च प्रोग्राम तथा कचरा जल के पुनरुपयोग और साथ ही औद्योगिक कचरे की सफाई और प्रॉसेसिंग के लिए नवीन बायोटेक्नोलॉजी पर नवीन पहलों का स्वागत किया जो स्वच्छ भारत कार्यक्रम को मूल्य प्रदान करेगा।

नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में तथा जलवायु परिवर्तन से निपटने के क्षेत्र में बढ़ते सहयोग को ध्यान में रखते हुए दोनों प्रधानमंत्रियों ने एक इंडिया-यूके क्लीन एनर्जी आरएंडडी सेंटर के लॉन्च का स्वागत किया, जहां सौर ऊर्जा भंडारण पर ध्यान दिया जाएगा और £10 मिलियन संयुक्त निवेश का समावेश होगा तथा एक ऊर्जा दक्ष निर्माण सामग्रियों पर सहयोगात्मक आरएंडडी कार्यक्रम शामिल होगा। पर ये हरित प्रयास कार्बन फुट प्रिंट को घटाएंगे तथा स्मार्ट सिटीज कार्यक्रम में योगदान देंगे।

कृषि के क्षेत्र में हाल के सफल सहयोगों की स्थापना पर दोनों पक्षों ने कटाई के बाद होने वाले नुकसानों से निपटने वाली परियोजनाओं की घोषणा की जिनसे किसानों को लाभ मिलेगा। स्वास्थ्यसेवा में हाल के सफल सहयोगों के मद्देनजर दोनों पक्षों ने कम आय वाली व्यवस्थाओं में महिलाओं तथा बच्चों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान के दूसरे चरण की घोषणा की है।

दोनों नेताओं ने जैवप्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जारी सहयोगी की सराहना की। दोनों पक्ष एक बायो-बैंक के विकास के भारत के प्रयासों में भागीदारी निभाने के लिए आतुर हैं जो यूके बायो-बैंक के वैज्ञानिक विशेषज्ञता को आकर्षित करेगा।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री सुश्री मे ने अपनी और अपने प्रतिनिधियों के लिए प्रधानमंत्री मोदी के हार्दिक आतिथ्य का धन्यवाद प्रकट किया।

प्रधानमंत्री की भारत यात्रा की नवीनतम जानकारी।

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प्रकाशित 7 November 2016