विश्व की समाचार कथा

जलवायु परिवर्तन विपत्ति मूल्यांकन रिपोर्ट जारी

ब्रिटेन, अमेरिका, चीन तथा भारत के विशेषज्ञों ने स्वतंत्र जलवायु परिवर्तन पर विपत्ति मूल्याङ्कन सम्बन्धी रिपोर्ट जारी की।

यह 2015 to 2016 Cameron Conservative government के तहत प्रकाशित किया गया था

वैज्ञानिकों, ऊर्जा नीति समीक्षक और विशेषज्ञों के अंतराष्ट्रीय समूह ने १३ जुलाई को एक स्वतंत्र विपत्ति मूल्याङ्कन रिपोर्ट जारी की, जोकि राजनीतिज्ञों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उनका नजरिया तय करने में सहायक होगी।

रिपोर्ट का तर्क है कि जलवायु परिवर्तन के खतरे का आकलन राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे खतरों के अनुसार ही किया जाना चाहिए। यह उस बिन्दु की पहचान करता है जिसके बाद ‘असुविधाजनक असहनीय हो सकता है’।

इनमें ताप-जनित तनाव सहने की मानवीय सीमा, फसलों द्वारा उच्च तापमान को सहने की सीमाएं, और इससे भी अधिक तापमान व्यापक पैमाने पर आपदाओं और फसलों के नाश का कारण बनेगा; और बढ़ते समुद्री तल की तटीय शहरों के लिए संभावित सीमाएं भी शामिल हैं। सलाह दी गई है कि इन सीमाओं के जोखिम को पार किए जाने में और तेजी आ सकती है, खासतौर पर वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में लगातार वृद्धि हो रही है, जैसा कि रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि ऐसा मजबूत राजनैतिक प्रतिबद्धता के अभाव और तीव्र प्रौद्योगिकी विकास की अवस्था में होगा।

यह रिपोर्ट सलाह देती है कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बड़े जोखिम वे हो सकते हैं जिन्हें लोगों, बाजारों तथा सरकारों की पारस्परिक अंतःक्रियाओं द्वारा बढ़ाया गया है। इसके अनुसार राज्यों के असफल होने के जोखिम विशिष्ट रूप से बढ़ सकते हैं जिससे एक साथ कई देश प्रभावित हो सकते हैं।

रिपोर्ट में यह संस्तुति की गई कि जलवायु परिवर्तन के जोखिम का आकलन नियमित रूप से अद्यतन किया जाना चाहिए और उच्च स्तर पर राजनेताओं को इनके बारे में बताया जाना चाहिए।

लंदन स्टॉक एक्सचेंज में रिपोर्ट जारी किए जाने के अवसर पर विदेश मंत्री बैरोनेस ऐनिले ने कहा:

जब हम अपने देश को सुरक्षित रखने के बारे में सोचते हैं, हमेशा हम सबसे खराब हालात को सामने रखकर विचार करते हैं। इसी से परमाणु-अप्रसार, आतंकवाद निरोध और संघर्ष की रोकथाम पर हमारी नीतियों को दिशा मिलती है। हमें जलवायु-परिवर्तन पर भी इसी तरीके से विचार करना होगा। उन सामान्य खतरों से अलग, जलवायु परिवर्तन का खतरा समय के साथ लगातार बढ़ता जाएगा- जब तक कि हम उनके कारण को पूर्णतः समाप्त नहीं करते। इन जोखिमों से सफलतापूर्वक निबटने के लिए, यह जरूरी है कि हम एक दीर्घावधि दृष्टिकोण अपनाएं और तत्परतापूर्वक वर्तमान में काम करें।

इंस्टीट्यूट एंड फैकल्टी ऑफ एक्चुएरीज के अध्यक्ष और इस रिपोर्ट के सह-प्रायोजक, फिओना मॉरीसन ने अपनी टिप्पणी में कहा:

जैसाकि रिपोर्ट दर्शाती है, जलवायु परिवर्तन के जोखिम के प्रति अनुकूलित होना और उसका समाधान करना सरकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। जलवायु परिवर्तन नीति के सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक यह होना चाहिए कि बेहद खराब नतीजों की संभावना को पहचाना जाए और सभी संभावनाओं के लिए एक पूर्ण जोखिम आकलन इसे प्राप्त करने का बेहतरीन तरीका है। एक्चुएरीज (लेखन कर्ताओं) के तौर पर, अच्छे फैसलों को मुश्किल परिदृश्यों के अन्वेषण पर आधारित पाते हैं और इस जानकारी का इस्तेमाल जोखिम के समाधान में करते हैं। यह रिपोर्ट महत्वपूर्ण जोखिम घटकों के आकलन में एक बेहद उपयोगी औजार सिद्ध होगी, जिस पर आनेवाले वर्षों में, वैश्विक तापक्रम की वृद्धि के संदर्भ में विचार करने तथा यथार्थतः लागू करने की आवश्यकता है।

इस रिपोर्ट के मुख्य लेखक हैं, जलवायु परिवर्तन पर ब्रिटेन के विदेश सचिव के विशेष प्रतिनिधि, सर डेविड किंग; विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर अमेरिकी राष्ट्रपति के सलाहकार परिषद के सदस्य, प्रोफेसर डेनियल श्रैग; जलवायु परिवर्तन पर चीन के नेशनल एक्सपर्ट कमिटी के सदस्य प्रोफेसर झू दादी; चीन के सिंगहुआ यूनिवर्सिटी में ब्रूकिंग्स- सिंगहुआ सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड मैनेजमेंट के डाइरेक्टर प्रोफेसर क्वि ये; तथा भारत में जलवायु तथा ऊर्जा नीति पर एक प्रमुख विचार परिषद ऊर्जा, पर्यावरण तथा जल परिषद की सीईओ डॉ. अरुणाभा घोष। कुल मिलाकर, इस रिपोर्ट में 40 से ज्यादा वैज्ञानिकों तथा सुरक्षा, वित्त तथा अर्थशास्त्र आदि क्षेत्रों से विशेषज्ञों का योगदान है जो ग्यारह विभिन्न देशों से आते हैं।

यह रिपोर्ट, ‘जलवायु परिवर्तन: एक जोखिम आकलन’ ऑनलाइन उपलब्ध है।

आगे की जानकारी:

चार बैठकों की एक श्रृंखला द्वारा जलवायु परिवर्तन जोखिम के आकलन को इस रिपोर्ट के रूप में लाने की जानकारी दी गई थी, जिनमें से प्रत्येक बैठक इस रिपोर्ट के एक प्रमुख लेखक के देश में हुई। नवंबर 2014 में, ऊर्जा प्रौद्योगिकी तथा नीति के विशेषज्ञों ने वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की भावी कार्ययोजना पर विचार-विमर्श के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय में बैठक की। जनवरी 2015 में, जलवायु विज्ञान तथा जोखिम पर विमर्श के लिए एक बैठक का आयोजन बीजिंग के सिंगहुआ विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन पर चीन की राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति की मेजबानी में किया गया। मार्च 2015 में, जलवायु परिवर्तन के व्यवस्थित जोखिम पर विमर्श के लिए वरिष्ठ सेवानिवृत्त सैनिक तथा कूटनैतिक पदाधिकारियों, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा विश्लेषकों तथा वैज्ञानिकों के एक समूह की बैठक दिल्ली में ऊर्जा, पर्यावरण तथा जल परिषद द्वारा आयोजित की गई, जिसमें सीएनए कॉरपोरेशन ने सहायता प्रदान की।

इस परियोजना की शुरुआत ब्रिटिश विदेश तथा राष्ट्रमंडल कार्यालय द्वारा जलवायु परिवर्तन पर परिचर्चा में एक स्वतंत्र योगदान के तौर पर की गई थी। इसकी विषय-सामग्री लेखकों के विचारों को अभिव्यक्त करती है, और इसे ब्रिटिश सरकार के विचारों के तौर पर ग्रहण नहीं किया जाना चाहिए।

बैठकों तथा रिपोर्ट के लिए जलवायु परिवर्तन पर चीन की राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति (नेशनल एक्सपर्ट कमिटी), द स्कॉल ग्लोबल थ्रीट्स फंड, द ग्लोबल चैलेंजेज फाउंडेशन, द इंस्टीट्यूट एंड फैकल्टी ऑफ एक्चुएरीज तथा विलीज रीसर्च नेटवर्क द्वारा सह-प्रायोजन उपलब्ध कराया गया। इस परियोजना के विशिष्ट घटकों को सहयोग भी ब्रिटिश ऊर्जा तथा जलवायु परिवर्तन विभाग, विज्ञान हेतु ब्रिटिश सरकार के कार्यालय, चीन के मौसम विज्ञान प्रशासन, तथा ओक रिज नेशनल लेबोरेटरी स्थित जलवायु परिवर्तन विज्ञान संस्थान द्वारा उपलब्ध कराया गया।

अधिक जानकारी के लिए कृपया यहां संपर्क करें:

स्टुअर्ट एडम, प्रमुख,
प्रेस एवं संचार
ब्रिटिश उच्चायोग, चाणक्यपुरी
नई दिल्ली 110021
टेलीफोन: 44192100 फैक्स: 24192411

मेल करें: दीप्ति सोनी

हमारा अनुसरण करें: Twitter, Facebook, Flickr, Storify, Eventbrite, Blogs, Foursquare, Youtube

Updates to this page

प्रकाशित 13 July 2015