'हम पूरे दिल से लैंगिक समानता का संकल्प लेते हैं'
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर चेन्नई में ब्रिटिश उप उच्चायुक्त भरत जोशी के भाषण की प्रतिलिपि
मुझे आज भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत बहुत जल्द ही स्थापित किए गए इस गरिमापूर्ण संस्थान में उपस्थित होकर बड़ी प्रसन्नता हो रही है। भले ही यह मेरी पहली यात्रा है, मैं अपेक्षा करता हूं कि यह मेरी अंतिम यात्रा नहीं होगी। शिक्षा विश्व के कल्याण, समुदायों को सशक्त बनाने और प्रतिभा एवं महत्वाकांक्षाओं को खोजने का सबसे शक्तिशाली हथियार है। जहां शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच के लिए बनाए गए सहस्राब्दी विकास लक्ष्य (मिलेनियम डेवेलप्मेंट गोल) ने इसकी उपयोगिता पर वास्तविक प्रभाव डाला है, जिसमें लैंगिक समानता पर सुधार भी शामिल है, वहीं कई क्षेत्रों में सुधार की राह काफी लंबी है। जैसे कि मलाला युसुफजई ने कहा है, “चलिए हम अपनी किताब और कलम उठाएं, ये सबसे शक्तिशाली हथियार हैं”।
पूर्व ब्रिटिश उप उच्चायुक्त अक्सर बड़े चाव से कहते थे, “ सदाचारी महिलाएं कदाचित ही इतिहास रचती हैं”। मैं आपके शिक्षकों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैं यहां आपको दुराचारी बनने के लिए प्रेरित करने हेतु नहीं उपस्थित हूं, बल्कि मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि भारत को उसकी पूर्ण क्षमता तक पहुंचाना आपका कर्तव्य है, फिर भले ही कई क्षेत्रों में आपके सामने रुकावटों का ढेर लगा हो। महिला होना इस समय कई देशों में भले ही आपके लिए काफी अनुकूल है, लेकिन हर जगह नहीं, और आपको समान स्थान पर पहुंचने के लिए अपने पुरुष समकक्षों से ज्यादा कठिन लड़ाई लड़नी होगी, भले ही कई मामलों में आप ज्यादा होशियार, परिश्रमी एवं भावनात्मक रूप से बुद्धिमान हों।
2016 के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अभियान का विषय है #समानता की प्रतिज्ञा (#PledgeForParity) । हमारे पास उत्सव मनाने के कई कारण हैं। व्यापार, राजनीति, मनोरंजन कला जैसे क्षेत्रों में वरिष्ठ पदों पर महिलाएं अधिक मात्रा में दिखाई दे रहीं है। विश्वभर में महिलाएं सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक उपलब्धियों में अधिक से अधिक आत्मविश्वास के साथ योगदान दे रही हैं। लेकिन कई स्थानों पर लैंगिक समानता की ओर विकास की प्रक्रिया धीमी पड़ गई है। 2014 में विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) ने यह भविष्यवाणी की थी कि वैश्विक लैंगिक समानता को हासिल करने में वर्ष 2095 तक का समय लग सकता है। लेकिन एक साल बाद ही उनका यह अनुमान था कि पहले से ही ठंडी गति से चल रही इस विकास प्रक्रिया के और धीमे पड़ जाने से लैंगिक असमानता को पूर्ण रूप से समाप्त होने में वर्ष 2133 तक का समय लग जाएगा।
स्पष्ट रूप से कहा जाए तो 21वीं सदी में यह अस्वीकार्य है। हमारी सरकार जिस भविष्य निर्माण की ओर कार्यरत है, जिसके लिए मैं व्यक्तिगत रूप से कार्यरत हूं, इसमें है एक ऐसा विश्व जिसमें लोग बिना किसी लिंग, जाति, धर्म, वर्ण, धन, रंग, विकलांगता या लैंगिक वरीयता के आधार पर भेदभाव के अपनी क्षमताओं का पूर्णनिर्वहन कर सकें। आप ऐसे ही विश्व की अधिकारी हैं, और ऐसे ही विश्व का अधिकार मेरी बेटियों को है। और यह मूलरूप से बेहतर विश्व होगा।
लैंगिक मुद्दे भारत में युनाइटेड किंग्डम (यूके) के कार्यों का केंद्र रहे हैं। हमने भारत भर में इससे जुड़ी कई योजनाओं का समर्थन किया है जैसे लड़कियों में सुरक्षा एवं यौन उत्पीड़न को लेकर जागरूकता निर्माण करना, आदिवासी महिलाओं की अधिक सामाजिक सहभागिता सुनिश्चित करना, समूचे भारत में महिला अधिकारों के साथ कार्यरत नागरिक समाज संगठनों की क्षमता निर्माण करना। लैंगिक मामलों एवं प्राथमिकताओं के साझा समझ को और बेहतर बनाने के लिए हमने भारतीय महिला नेताओं की एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधीमंडल को यूके भेजा था जिसमें भारत की राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष भी शामिल थीं।
तमिलनाडु एवं केरल में मेरे दल ने अपनी तरह की पहली ऐसी योजना को निर्वहन किया है जिसमें चिकित्सकों को संवेदनशील बनाया गया जिससे महिलाओं के विरुद्ध हिंसा (वीएडब्ल्यू) की पीड़ितों को सहायता मिल सके। इन कार्यशालाओं से 170 कानूनी, पुलिस एवं न्यायिक अधिकारियों को इन समूचे दोनों राज्यों के जिलों तक इसकी सीख और इसके कार्यों को पहुंचाने का लाभ प्राप्त हुआ है। इसके परिणामस्वरूप तमिल और मलयालम में विवरण पुस्तकिओं से त्वरित न्याय पाने और पहुंचाने की प्रक्रिया में सुधार होगा। मुझे गर्व है कि आज दिल्ली में, इस कार्य पर आधारित नवीन रूप से रूपांकित अध्ययन एवं सहभाजन (लर्निंग एवं ट्रेनिंग) नियमावली का लोकार्पण किया जाएगा जिसका इस्तेमाल वीएडल्यू के चिकित्सक समूचे भारत में कर सकते हैं और इससे उन्हें ऐतिहासिक एवं नए कानून एवं अभ्यास को बेहतर तरीके से समझने एवं संकल्पित करने में सहायता मिलेगी।
इसलिए मैं आज आपको यह बताना चाहता हूं कि चाहे आप सदाचारी हों या उससे काफी कम हों, विश्व भर में महिलाओं के अधिकारों के लिए खड़े रहने में ब्रिटीश सरकार आप जैसी युवा महिलाओं के साथ है। महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के इस अभिशाप से निपटने में हम आपके साथ कार्यरत रहेंगे। और हम पूरे दिल से लैंगिक समानता का संकल्प लेते हैं।